जनता कर्फ़्यू में क्या कर रही थी बनारस की आम जनता?
गूगल, फेसबुक और यू-ट्यूब बने हमजोली
राज की बात
कुछ ने टीवी देखी तो कुछ ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से की लंबी बात
शाम को अपने घरों से जमकर घंटे-घड़ियाल और थालियां बजाईं
वाराणसी। कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रविवार सुबह सात बजे से देर रात तक जनता कर्फ़्यू रहा। इस दौरान लोग घरों में ही बंद रहे। सिर्फ गूगल, फेसबुक और यू-ट्यूब सहारा बने। जनता कर्फ्यू के दौरान लोगों से बहुत ज़रूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलने के लिए कहा गया था। प्रतीकात्मक रूप से इसे कोरोना वायरस को लेकर आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होकर तैयार रहने के तौर पर मनाया गया। शाम पांच बजे कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में योगदान दे रहे लोगों के प्रति धन्यवाद अर्पित किया गया। लोगों ने अपने घरों से जमकर घंटे-घड़ियाल और थालियां बजाईं।
अराधना पांडेय लंका इलाके के छित्तूपुर में पीजी लेकर रहती हैं। वह बताती हैं कि जनता कर्फ़्यू के दौरान उन्हें पढ़ाई से अलग हटकर अपनी पसंद की चीज़ें करने का मौक़ा मिला। उन्होंने कहा कि घर नहीं जा पाई और बनारस में ही रह गई। यहां पीजी में स्ट्रेस हो रहा था। पढ़ाई में भी ध्यान नहीं लग रहा। मगर रविवार को मैने अपनी पसंद की वो चीज़ें की, जो कभी नहीं कर पाई थी। आज मैने एक पेंटिंग बनानी शुरू की। थोड़ी क्सराइज़ की क्योंकि वॉक पर नहीं जा पा रही थी। सोमवार का शेड्यूल भी यही रहेगा। कुछ समय पढ़ाई, फिर आर्ट वर्क, फिर एक्सराइज़, फिर नेटफ्लिक्स पर अपना पसंदीदा कार्यक्रम देखूंगी, क्योंकि इसे देखकर स्ट्रेस कम होता है।
मंडुआडीह में विनय गुप्ता कारोबारी हैं। वो बताते हैं कि शनिवार से ही अधिकतर दुकानें बंद हैं। रविवार को बाज़ार बंद रहा। रविवार को होने वाला जनता कर्फ़्यू उसी की एक कड़ी है। दिन भर टीवी देखकर उन्होंने रविवार का दिन गुजारा।
हालांकि, विनय गुप्ता देश में तेजी से फैल रही कोरोना की बीमारी में फैली एक और चिंता को लेकर इशारा करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में संशय है कि कहीं यह जनता कर्फ़्यू आगे न बढ़ जाए, इसलिए कुछ लोग जरूरी सामान जमा करने लगे हैं।
बीएचयू के असिस्टेंट प्रो.एसएस. पांडेय कचहरी के पास रहते हैं। वो कहते हैं कि जनता कर्फ़्यू के दिन वह अपने परिजनों के साथ घर पर ही रहेंगे और लोगों को भी अपने पोर्टल के माध्यम से कोरोना वायरस और उसके ख़तरों से आगाह करेंगे। मगर वह चिंता जताते हैं कि उनके यहां लोग अभी भी गंभीर नहीं है।
प्रो.पांडेय ने कहा कि जनता कर्फ्यू के दौरान लोग छोटे बच्चों को साथ लेकर सड़क पर उतने की जुगत में रहे। लेकिन सुरक्षा बलों ने उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। बहुत से लोग इस बीमारी को लेकर गंभीर नहीं है। उन्हें लग रहा है कि कुछ नहीं है। जबकि ऐसी ही लापरवाही के कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया को अपनी गिरफ़्त में ले चुका है।
पांडेयपुर के बिजेंद्र सोनी बताते हैं उनके यहां लोग कोरोना को लेकर बहुत सजग हो गए हैं और जनता कर्फ़्यू को गंभीरता से ले रहे हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण पहले कोरोना वायरस के खतरे को हल्के में ले रहे थे मगर अब वे चिंतित हैं। सोनी ने बताया कि शनिवार को वो हैंड सैनिटाइज़र खरीदने निकले। मेडिकल स्टोर पर भारी भीड़ रही। हैंड सैनिटाइज़र साथ देखा। जो लोग कभी किसी बात को लेकर गंभीर नहीं रहते थे वो कोरोना की चर्चा करता मिला।
हालांकि पांडेयपुर के व्यवसायी हृदय कुमार गुप्ता को एक और चिंता है। वो कहते हैं कि कुछ रिश्तेदार हैं जो जनता कर्फ़्यू या फिर इसी तरह कोरोना का ख़तरा बना रहने के कारण काम पर नहीं जा पाएंगे और इससे उनका घर चलना भी मुश्किल हो जाएगा। वो कहते हैं कि जनता कर्फ़्यू के दिन वो घर पर ही रहे। इस दौरान स्मार्टफ़ोन और इंटरनेट हमारे साथी बने हुए हैं।