जब मोरारी बापू की कथा में व्यासपीठ बना शादी का मंडप, कथा आयोजक के बेटी ने लिए सात फेरे, बापू सहित हजारों लोग बनें साक्षी



जनसंदेश न्यूज़
प्रयागराज। संगमनगरी में संत श्री मोरारी बापू के मुखारबिंद से चल रहे ‘मानस अक्षयवट’ कथा के दौरान व्यासपीठ पर अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। जब व्यासपीठ को मंडप और मोरारी बापू को साक्षी मानते हुए कथा के मुख्य आयोजक मदन पालीवाल की पुत्री माधवी पालीवाल और विष्णु कान्त व्यास ने व्यास पीठ के सात फेरे लिए और एक दूसरे को वरमाला पहनाई। 
व्यासपीठ पर फेरे लेने के इस दुर्लभ नज़ारे के हज़ारों लोग साक्षी बनें और वर-वधु को आशीर्वाद प्रदान किया। वर-वधु ने फेरे लेने लेने बाद बापू की आरती उतारी और उनके आगे नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया। इससे पूर्व वर की बारात व्यासपीठ पर नाचते-गाते बैंड बाजे के साथ पहुंची थी। व्यासपीठ पर इस तरह की सादगी भरी शादी कथा श्रवण करने वालों के लिए कौतूहल और प्रेरणादायी बनीं।



वंचितों की बेटियों की हो शादी, व्यास पीठ के सामने डाले माला
‘मानस अक्षयवट’ कथा के दौरान बापू ने कहा कि आसपास के जितने भी वंचित है, दलित है, नाविक है उनकी बेटियों की शादी व्यासपीठ के सामने होनी चाहिए। बापू ने कहा कि मेरी ईच्छा है कि कोई भी वंचित, नाविक अपनी बेटी की शादी करवाना चाहता है, उनकी शादी व्यासपीठ के सामने हो। दूल्हा-दुल्हन व्यासपीठ के आगे माला पहनाकर अपने दाम्पत्य जीवन की शुरुआत करे। अगर कोई मुस्लिम भी अपनी बेटी की शादी व्यासपीठ के आगे करवाना चाहता है तो उनका भी स्वागत है। 



झूमने और नाचने लगे श्रोता, जब मोरारीबापू ने किए भजन
कथा का तीसरा दिन भी भक्ति और भाव विभोर कर देने वाला रहा। ‘मानस अक्षयवट’ के दौरान बापू ने भजन करने शुरू किए तो पूरा पांडाल झूम उठा। पांडाल में बैठे श्रोता गरबा करने लगे। पांडाल में ऐसा लग रहा था मानो नवरात्रि चल रही हो और भक्त माँ दुर्गा की भक्ति में लीन हो। कथा सुनते हुए कई श्रोता भाव विभोर हो गए और उनके आंखों से आंसू छलक उठे। 


 


 


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