जब असहाय मजदूरों के बच्चों ने रोक दी डगर


 भूख से बिलबिलाते बच्चों को देख ईडब्ल्यूओ इंस्पेक्टर का दिल पसीजा


दूध बिस्कुट ही नहीं श्रमिकों को भोजन भी कराया


सपरिवार निकले श्रमिकों को खुद वाहन चलाकर पहुंचाया उनके घर


रवि प्रताप सिंह


वाराणसी। 21 दिनों के लॉकडाउन ने लोगों की रफ्तार रोक दी है। जो जहां रह गया वह वहीं का होकर रह गया। ऐसे में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए अब लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। छोटे-छोटे बच्चों को कंधे पर लिए सैकड़ों किमी का सफर तय कर रहे हैं। ऐसे में हर कोई किसी न किसी तरह से मदद को आगे आ रहा है। लेकिन मानवता की मिशाल पेश करने में पुलिस कर्मी भी पीछे नहीं है। बात आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईडब्ल्यूओ) में तैनात इंस्पेक्टर सुनील वर्मा की हो रही है। इन्होंने ना केवल इस लॉकडाउन में फंसे 25 से 30 श्रमिकों को भोजन कराया बल्कि इनकों इनके मूल निवास सोनभद्र के राबर्टगंज तक वाहन के माध्यम से खुद ड्राइव कर पहुंचाया।



 


श्रमिकों को गाजीपुर के लंका क्षेत्र में एक निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारम में काम करने के लिए ठेकेदार ने एक महीने पूर्व बुलाया था। श्रमिकों की संख्या 25 से 30 थी। इस  बीच लॉक डाउन होने से काम बंद हो गया। काम बंद होने के बाद श्रमिकों ने ठेकेदार से गुहार लगाई की उन्हें उनके घर राबटर््गंज भिजवा दिया जाय लेकिन लॉकडाउन का हवाल देकर ठेकेदार ने हाथ खड़ा कर लिया। ऐसे में ये श्रमिक गाजीपुर से पैदल ही राबटर््गंज के लिए निकल लिए। सैदपुर आशापुर होते हुए ये पांडेयपुर ओवर ब्रिज तक पहुंचे ही थे कि इंस्पेक्टर सुनील वर्मा की निगाह पड़ी। छोटे-छोटे बच्चों को हाथ में लिए पुरूष और महिलाओं को देख दिल पसीजा और पूछ लिया कहां से आ रहे हो, क्या कुछ खाने को मिला। जवाब था गाजीपुर से और रही बात खाने की तो  कुछ नहीं मिला है। ऐसे में पहले उन्होंने सभी को भोजन कराया और साथ ही वाहन की व्यस्था की। लेकिन पुलिस सख्ती की वजह से कोई राबर्ट्गंज तक जाने को तैयार नहीं था।



 


ऐसे में इस दिलेर इंस्पेक्टर ने श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने का जिम्मा लिया और वाहन की व्यवस्था कर खुद ड्राइव कर श्रमिकों की मंजिल तक पहुंचाने के लिए निकल पड़े। रास्ते कई जगहों पर चेकिंग और समस्या के देखते हुए उन्होंने वर्दी धारण की ताकि इन लाचार, बेबस लोगों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके। इस काम में उनकी मदद उनके सहकर्मी शशिकांत सिंह,संजय सिंह, भोला सिंह और वाहन स्वामी रामजनम मिश्र ने किया। श्रमिकों को घर पहुंचाकर अगले दिन सुबह पांच बजे वाराणसी लौटे।


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