गरीब बच्चों की मदद ही नहीं बल्कि विपत्ति में खड़े हैं दुर्गेश

 



तुलसी पंछी के पिए घटे ना सरिता नीर, धर्म किये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर 
भिक्षाटन कर गांव-गांव घूम पहुंचा रहे राहत सामाग्री
दुर्गेश को गरीब बच्चों की शिक्षा में सहायता और मदद के लिए जाना जाता है
रवि प्रताप सिंह 
वाराणसी। जी हां हम बात कर रहे ऐसे समाजसेवी की जिसकी दिनचार्या ही समाजसेवा के लिए शुरु होती है और समाप्त। जो भिक्षाटन कर जरूरमंद बच्चों की पढ़ाई और उनकी पाठ्य पुस्तक सामाग्री को पूरा करता है। संकट के समय चट्टान बनकर गरीबों की मदद के लिए आगे आत है। बात समाजसेवी दुर्गेश सिंह की हो रही है। 
चंदौली जनपद के आवाजापुर निवासी सच्चिदानंद सिंह दुर्गेश पीछले पांच सालों में  समाज के नीचले वर्ग के लिए किये वह ना केवल सराहनीय है बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणादायक भी है। चंदौली ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में समाजसेवा और जरूरमंदों के काम को अंजाम तक पहुंचाने दुर्गेश को पूर्वांचल जानता है। खासकर गरीब बच्चों की शिक्षा अंतिम पड़ाव तक पहुंचाना इनका मकसद है जिसे से बखूबी निभा रहें है।



40 हजार से ज्यादा बच्चों को शिक्षा के अधिकार से जोड़ा और उनके पढ़ाई लिखाई में मददगार सामाग्रियों को बांटा। लेकिन इन दिनों जब देश कोरोना संकट से गुजर रहा है तो वह निचले तपके जिनके पास भोजन समेत अन्य जरूरी समाग्री का अभाव है उसे पूरा करने में लग गये हैं। गांव के ही लोगों से भिक्षाटन करके निचले चपके तक पहुंचकर उन्हें अनाज समेत अन्य जरूरत के सामान उपलब्ध करा रहें है। लॉकडाउन की वहज से एक गांव से दूसरे गांव में जाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है बावजूद इसके अन्न लेकर निकल जा रहे हैं और जहां कहीं सूचना मिल रही है कि यहां दिक्कत में परिवार है उसे जरूरत के सामान उपलब्ध करा रहे हैं। ये बताना भी जरूरी है कि ये काम वह भिक्षाटन कर के पूरा कर रहे हैं। 
 


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