दुर्दशा में पहुंच चुका पुरस्कृत गांव अंबा, बजबजा रहीं नालियां-गलियां, अधूरे पड़े शौचालय

 


- प्राथमिक विद्यालय और मंदिर के निकट पोल्ट्री फार्म


- पीएम आवास आवंटन में जरूरतमंदों की हुई अनदेखी


- यादव बस्ती में मार्ग व दलित बस्ती में नहीं है खड़ंजा



जनसंदेश न्यूज


चिरईगांव। जनपद के पुरस्कृत गांवों में शुमार चिरईगांव विकास खंड की अंबा ग्राम पंचायत की स्थिति अब ऐसी नहीं रही कि बेहतरी में उसकी मिसाल पेश की जाय। पांच साल पहले इस ग्राम पंचायत का गठन हुआ तो उस दौर में कई मामलों में यह अन्य ग्राम पंचायतों के लिए उदाहरण बना रहा। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गये, अंबा में समस्याओं की लिस्ट भी बढ़ती गयी। बजबजाती गलियां, खस्ताहाल खड़ंजा मार्ग, सीवर समस्या, अधूरे बने आवास आदि तो हैं ही। विद्यालय के एमडीएम की निगरानी भी नहीं होती।



सन 2011 की जनगणना के अनुसार चिरईगांव ब्लाक के अंबा ग्राम पंचायत की आबादी सिर्फ 1350 है। सन 2015 में कुकुड़ा ग्राम पंचायत से इसे अलग कर ग्राम पंचायत बनाया गया। आबादी कम है सो, त्रिस्तरीय पंचायत के वोटरों की संख्या भी स्वाभाविक रूप से कम ही है। पिछले चुनाव में 125 वोट हासिल कर अजय सिंह अंबा के ग्राम प्रधान चुने गये। यह ग्राम पंचायत भले ही छोटी होलेकिन यहां की समस्याएं काफी बड़ी हैं। वर्तमान ग्राम प्रधान का पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होने में कुछ ही महीने शेष हैं लेकिन इस दौरान सीवर का एक भी कार्य नहीं हुआ।



प्रधान अजय सिंह स्वीकार करते हैं कि सीवर कार्य नहीं हो सका। गांव में सबसे बड़ी समस्या मार्गों को लेकर है। यादव बस्ती में रहने वाले परिवार अपने पड़ोसियों के रहमो-करम पर उनके दरवाजे से होकर आवाजाही के लिए बाध्य है। इस बस्ती के लोग हीरालाल के दरवाजे से रतन, सविता देवी, पांचू का परिवार होकर अपने दरवाजे पर पहुंचता है। कभी-कभी पड़ोसियों से अनबन की स्थिति में उनका अवागमन प्रभावित होने लगता है। दूसरी ओर, अंबा की दलित बस्ती के पहुंच मार्ग पर खड़ंजा नहीं लग सका है। फलस्वरूप बारिश के दिनों में यहां के निवासियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।



इस नवसृजित ग्राम पंचायत में कई किसान मुर्गी पालन करते हैं। ग्राम प्रधान के भी दो पोल्ट्री फार्म हैं। तमाम ग्रामीणों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि गांव में आस्था का मुख्य केंद्र काली मंदिर के निकट ग्राम प्रधान ने मुर्गी फार्म बनवाया है। इसके अलावा पास में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। स्कूल के विद्यार्थी और मां काली की पूजा करने वाले लोग पोल्ट्री फार्म से निकलने वाली दुर्गंध से काफी असहज महसूस करते हैं।



ग्रामीण पंकज सिंह, बुजुर्ग राधेश्याम, लकड़ू, गुलाब आदि ने आरोप लगाया कि गांव के विकास में ग्राम प्रधान रुचि लेने के बजाय अपने ही ‘विकास’ में लगे हुए हैं। अंबा में पीएम आवास योजना के तहत 20 आवासों निर्माण हुआ है। उनमें से लगभग सभी आवासों का भुगतान कर दिये जाने का दावा है। उनमें से आधा दर्जन आवास अधूरे पड़े हें।



गांव के भूमिहीन रामराज, रतन यादव, नरायन और दिव्यांग दंपति लोलाराम यादव वगैरह को आवास नहीं मिला है। उनका आरोप है कि ग्रामीण छन्नूराम व सौदागर के पास अपना मकान है उसके बावजूद दोनों को पीएम आवास योजना का भी लाभ दिया गया है। पीएम आवास के एक लाभार्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आवास प्राप्त करने के लिए रकम खर्च करनी पड़ी।




भ्रष्टाचार से लबालब तालाब


- गंगातट पर बसे गांवों के लिए शासन की एक योजना के तहत अंबा के निकट स्थित तालाब का सुंदरीकरण कराया गया था। वर्तमान में इस तालाब की हालत खराब है। उसमें जलीय घास उग आए हैं। ग्रामीण उसमें कूड़ा-करकट, अपशिष्ट पदार्थ फेंक रहे हैं। तालाब से उठने वाली दुर्गंध कुछ दूरि से मिलने तलगी है। ग्रामीणों की आरोप है कि तालाब के सुंदरीकरण के बाद पर सरकारी पैसे की बंदरबांट हुई।


 


स्वास्थ्य केंद्र में बिजली नहीं


- अंबा ग्राम पंचायत में धड़ल्ले से कटियामारी चल रही है। इसके अलावा गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र में बिजली व्यवस्था नहीं है।


 


एमडीएम में मनमानी


- ग्राम पंचायत अंबा स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना में निर्धारित मेन्यू का पालन नहीं होता। यहां के बच्चों को तय दिन में दूध नहीं परोसा जाता। यहां के प्रधानाचार्य लालचंद राम ने इस स्थिति को स्वीकार करते हुए आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान की मर्जी से एमडीएम व्यवस्था होती है। इस बारे में एबीएसए चिरईगांव रामटहल को जानकारी दी गयी तो उन्होंने शिकायत पर ध्यान नहीं दिया।



ग्रामीणों में रोष


- गांव के खरपत्तू, गुलाब, शोभनाथ, आशीष, शैलेंद्र आदि ने आरोप लगाया कि इन पांच वर्षों में सीवर कार्य की अनदेखी हुई। फलस्वरूप गलियां बजबजा रही हैं। आवागमन के लिए मार्ग निर्माण की पहल नहीं की गयी। कई शौचालय भी आधे-अधूरे बने हैं।



सरकारी पैसे की हुई बंदरबांट : अमित कुमार दुबे


- अंबा निवासी अमित कुमार दुबे ने कहा कि ग्राम प्रधान ने अपने चहेतों को पीएम आवास दिया। जरूरतमंद आज भी खुले आसमान के नीचे राज गुजारने के लिए बाध्य हैं। शौचालय आवंटन में जबरदस्त धांधली की गयी है। ऐसे कई हैं जिन्होंने निजी शौचालय उपलब्ध होने के बाद भी एसबीएम का लाभ लिया है। प्राइवेट टॉयलेट्स को भी एसबीएम में दिखा दिया गया है। अगर जांच हुई तो विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपये के गोलमाल का खुलासा हो सकता है।


 


पोल खुला तो बढ़ेगा हंगामा : प्रवीण सिंह


- ग्राम पंचायत अंबा के प्रवीण सिंह एडवोकेट प्रधानी के चुनाव में उपविजेता थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां विकास कार्यों को लेकर ढेरों गोलमाल हैं। संबंधित मामले और पोल अगर परत दर परत खुलें को हंगामा भी बढ़ेगा। आने वाले चुनाव में जनता ही जवाब देगी।



चमक रहा है गांव : अजय सिंह


- अंबा के ग्राम प्रधान अजय सिंह ने कहा कि हमने गांव के चहुंमुखी विकास के लिए हर संभव प्रयास किया है। उसी का परिणाम है कि अंबा गांव चमक रहा है। विद्युतीकरण, पीएम आवास, पेयजल, शौचालय, तालाब सुंदरीकरण से लगायत लगभग हर क्षेत्र में विकास कार्य हुए हैं। धनाभाव के चलते नाली-सीवर का कार्य अबतक नहीं हो सका। विरोधियों के आरोप निराधार हैं।


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