आर्सेनिक से और दो ने हारी जंग, अरबों खर्च के बाद भी हालत में नहीं कोई सुधार, अन्य पीड़ितों में दहशत
जनसंदेश न्यूज़
मझौवां/बलिया। विकास खण्ड बेलहरी के ग्राम सभा गंगापुर मे शुक्रवार को युवक सहित दो लोगों की आर्सेनिक जनित बिमारियों से मौत हो गयी। इसके बाद मौत से जंग लड़ रहे शेष पीड़ितों मे दहशत व्याप्त है। बचाव के नाम अरबों खर्च के बाद भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन पीड़ितों के इलाज का समुचित प्रबन्ध अबतक शासनिक स्तर से नही हो पाया है।
विकास खण्ड के ग्रामसभा गंगापुर के पुरवा तिवारी टोला निवासी 28 वर्षीय कपिल पाण्डेय पुत्र स्व0 नन्दलाल पाण्डेय सुबह दस बजे असमय काल का ग्रास बन गया। वहीं प्रभावित बस्ती के लिये कोढ़ बन चुकी इस बीमारी से इसी ग्रामसभा के दुर्जनपुर निवासिनि 55 वर्षित उषा देवी पत्नी सुधा यादव की मौत रात 8 बजे हो गयी।
परिजनों ने बताया कि पीड़ित की मौत आर्सेनिक जनित बीमारी लीवर कैंसर व किडनी डाइमेज हो जाने के कारणों से हुई है। युवक पिछले चार वर्षाे से आर्सेनिक जनित बीमारी से संघर्ष कर रहा था। वहीं महिला तीन वर्षाे से श्वास व दमा से पीड़ित थी। जिसका इलाज शुरुआती दिनों जिला अस्पताल मे कराया गया। लाभ नही होने पर परिजन बीएचयू ले गये। इस बीच इलाज के चक्कर मे परिवार की हालत दयनीय हो गयी। बावजूद युवक की स्थिति मे कोई सुधार नही हुआ। पिता की मौत डेढ़ दशक पूर्व ही हो गयी थी। मृतक की अभी शादी नही हुयी थी। अंतिम संस्कार बड़े भाई शशिभूषण ने किया।
घटना के बाद आंखो से कमजोर हो चुकी 80 वर्षीय माता केशरावती का रोते-रोते बुरा हाल हो रहा। तिवारी टोला मे आर्सेनिक से मौत की कोई ये पहली घटना नही है। पिछले डेढ़ दशक के बीच अबतक दर्जनों लोग आर्सेनिकोसिस से मौत से जंग हार चुके है। जबकि दर्जनों अभी भी संघर्ष कर रहे है। इन पीड़ितों की सुधि लेने वाला कोई नही है। हर मौतों के बाद हाय तौबा मचता है। अधिकारियों के दौरे होते है। मदद का भरोसा दिया जाता है किन्तु चंद दिन बाद ही सबकुछ शांत हो जाता है।
बयानों तक सिमटा जांच का आदेश
आर्सेनिक प्रभावित रोगों से हुई मौतों से आश्रितों को मुआवजे के लिये पीड़ितों ने वर्ष 2015 मे मानवाधिकार से गुहार लगायी। जनहित की इस समस्या को मानवाधिकार के संज्ञान लेने के बाद 20 अगस्त 2015 को प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन जिलाधिकारी को पत्र भेज आर्सेनिक से हुयी मौतों का मजेस्ट्रेटी जांच कराकर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिससे मृतक के आश्रितों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से उचित मुआवजा दिलाया जा सके। इसके बाद भी जिम्मेदार संवेदनहीन बने रहे।
उक्त मामले को कांग्रेस नेता विनोद सिंह ने 24 दिसम्बर को एक बार फिर तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खगारौत के समक्ष उठाया। इसके करीब छः माह बाद मई-जून 2019 मे प्रभावित क्षेत्रों के करीब 20 पीड़ितों का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुआ। अफसोस! बयान दर्ज होने के आठ माह बाद भी आश्रितों को मुआवजा मिलना तो दूर बयान के बाद की सारी प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है।
आर्सेनिकजनित बीमारी से हुई मौते
प्रभावित क्षेत्र के लोगों के अनुसार आर्सेनिकोसिस से अब तक दर्जनों मौते हो चुकी है। इसमें सदर तहसील के ग्रामसभा गंगापुर सर्वाधिक प्रभावित है। ग्रामीणों के अनुसार गांव के गुड्डू ततवा, देवानन्द, लाला ततवा, सनकुमारी देवी, नन्द लाल पाण्डेय, कृष्णा पाण्डेय, सोनम तिवारी, व्यासमुनि तिवारी, अमरनाथ पाण्डेय, पप्पू पाण्डेय, नीलम पाण्डेय सहित करीब दो दर्जन लोगो की मौत अबतक आर्सेनिकजनित बीमारी से हो गयी है।
आर्सेनिकजनित बीमारी से दर्जनों कर रहे संघर्ष
सदर तहसील के ग्रामसभा गंगापुर के पुरवा तिवारी टोला की कुल आबादी करीब आठ सौ है। इनमें अधिसंख्य लोग दूषित पानी के सेवन से श्वास, लीवर केंसर, दमा, चर्मरोग आदि से पीड़ित है। इनमें पाण्डेय, सुभाष पाण्डेय सुर्यबली पाण्डेय, भरत, गुड्डू, आदि तो बीमारी के वजह से मौत की दहलीज तक पंहुच चुके है। इनका इलाज वाराणसी से लगायत कलकत्ता तक चल रहा है। इलाज के वजह से परिवार भुखमरी के कगार पर पंहुच गया है।