वाराणसी के इस गांव में मिला चार हजार साल पुराना शिल्प ग्राम
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। क्या वाराणसी की पुरानी सभ्यता के कुछ और छुपे तत्व मिलने वाले हैं। क्योंकि जो कुछ शहर से 13 किमी दूर एक गांव में मिला है, उससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं। नगर से सटे गांव बभानियाव में बीएचयू की टीम ने 4000 साल पुराने शिल्प ग्राम का पता लगाया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्राचीन ग्रंथों में दर्ज शिल्प ग्रामों में से एक है। प्रारंभिक सर्वेक्षण करने वाले विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसरों का कहना है कि उन्हें एक ऐसी बस्ती के निशान मिले हैं, जिसका वाराणसी से संबंधित साहित्य में जिक्र मिलता है।
विभाग के प्रोफेसर एके दुबे ने बताया जिले के बभनियाव गांव में प्रारंभिक सर्वेक्षण में 8वीं शताब्दी ईस्वी से 5वीं शताब्दी ई. के बीच का एक मंदिर, 4,000 साल पुराने मिट्टी के बर्तन और 2 हजार साल पुरानी दीवारें मिली हैं।
बताया कि स्थल पर मिली मिट्टी की सामग्री के आधार पर हम कह सकते हैं कि संरचना 3500 से 4000 साल पुरानी है। प्रो. दुबे उस टीम का हिस्सा हैं, जो 25 फरवरी को स्थल पर खुदाई करेगी। उन्होंने बताया कि टीले का उत्खनन 23 फरवरी से प्रारंभ होना था, लेकिन बीएचयू के इंडोलाजी विभाग के पूर्व प्रो. पुरुषोत्तम सिंह के निधन से यह कार्य नहीं शुरू हो सका।
वाराणसी से निकटता के कारण इसका खास महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वाराणसी को 5,000 साल पहले हिंदू देवता भगवान शिव ने स्थापित किया था, हालांकि आधुनिक विद्वानों का मानना है कि यह लगभग 3,000 साल पुराना है। दुबे ने बताया कि बभनियाव स्थल जिले का एक छोटा उप-केंद्र हो सकता है, जो एक शहर के रूप में विकसित हुआ है।
बता दें कि 14 फरवरी को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान के निदेशक डॉ. बीआर मणि के नेतृत्व में पहुंची टीम ने टीले पर मिली मूर्तियों, अभिलेखों और अन्य सामग्री के गहन अध्ययन के बाद गांव में कभी एक सभ्यता विकसित होने की पुष्टि की थी। सामाग्री में कुषाण कालीन ब्राह्मी लिपि के अभिलेख सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। एक टीले से प्रस्तर की कई मूर्तियां और ब्राह्मी लिपि में लिखे अभिलेख मिले हैं।