पुरानी ईंटों से बना रहे गोवंश आश्रय स्थल, भुगतान के बारे में पूछने पर सचिव बोले, ‘एमबी’ होगा तो देख जाएगा



चिरईगांव ब्लाक के गांव में छह माह में भी तैयार नहीं हो सका यह आश्रय केंद्र


ग्राम प्रधान के पुराने व तोड़े जा रहे मकान की ईटों से करवा रहे हैं निर्माण कार्य


बेपरवाह ग्राम पंचायत सचिव ने साफतौर पर कहा रू एमबी होगा तो देखा जाएगा



छांही गांव में यह चल रहा है----
जनसंदेश न्यूज
चिरईगांव। योगी सरकार निराश्रित व छुट्टा गोवंशों से किसानों को निजात दिलाने के लिए कई स्तर पर कार्य कर रही है। उसी क्रम में आवारा पशुओं के लिए शासन ने अधिक से अधिक गोवंश आश्रय स्थलों का निर्माण जल्द से जल्द कराने के निर्देश दिये हैं। उसी क्रम में छांही गांव में निर्माणाधीन गोवंश आश्रय स्थल बनाने वालों से हद ही कर दी है। यहां ग्राम प्रधान के पुराने घर के ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे कार्य में गुणवत्ता की स्थिति समझी जा सकती है। खास यह कि भुगतान के बारे में पूछे जाने पर ग्राम पंचायत सचिव ने लापरवाही से कहा कि जब ‘एमबी’ होगा तो देखा जाएगा।
चिरईगांव विकास खंड के छांही गांव में सिर्फ पांच पशुओं की क्षमता का एक गोवंश आश्रय स्थल बीते छह माह ने निर्माणाधीन है लेकिन अबतक कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। कछुआ चाल को भी मात दे रहे इस कार्य में पुरानी ईंटों का उपयोग किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक यह ईंट ग्राम प्रधान के ध्वस्त कराये जा रहे पुराने मकान से लिया जा रहा है। सोमवार को मौके पर पूछा गया तो आश्रय स्थल निर्माण में जुटे मजदूरों ने कहा कि परेशान होने की जरूरत नहीं, सरकारी काम ऐसे ही होता होता।
दूसरी ओर, ग्राम पंचायत सचिव अशोक पाल से जब पूछा गया कि गोवंश आश्रय स्थल में पुराने इस्रंट क्यों लगवा रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि जी हां, बेशक इस कार्य में पुरानी ईंटें लगायी जा रही हैं। इस पर जब उनके पूछा गया कि यह स्थल पूरी तरह बन जाने के बाद भुगतान कैशो लेंगे तो उन्होंने उत्तर दिया कि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रोजेक्ट का आंकलन एमबी (मेजरमेंट बुक) के जरिये होगा तो देखा जाएगा। श्री पाल ने यह भी स्वीकार किया कि यह पुरानी ईंटें ग्राम प्रधान के तोड़े जा रहे मकान का है।


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