पुलवामा शहीदों को दी गई यह श्रध्दाजंली है दुनिया की सर्वश्रेष्ठ श्रध्दाजंली, पढ़िएं क्या है खास!


हमले में शहीद हुए 40 जवानों के गांव पहुंच कर इकठ्ठा की मिट्टी


पूरे सफर में किया 61 हजार किमी. की यात्रा


इस आयोजन के लिए किसी से कोई डोनेशन भी नहीं लिया



जनसंदेश न्यूज़
नई दिल्ली। आज ही का वह दिन था। हर कोई प्यार-मोहब्बत में डूबा हुआ था। हर तरफ प्यार के इजहार हो रहे थे लेकिन इसी बीच दिल को अंदर तक झकझोर देने वाली एक ऐसी खबर आती है। जो देश के हर एक नागरिक को दुखी कर देती है। जम्मू-कश्मीर (J&K) के पुलवामा हमला (Pulwama Attack) में आतंकियों ने भारतीय जवानों की एक गाड़ी पर ग्रेनेट से हमला कर दिया था। जिसमें भारत मां के 40 सपूत देश की सेवा में बलिदान हो गए थे। 
आज इस घटना को पूरे एक साल हो गए। हर कोई शहीद जवानों की शहादत के पहली बरसी पर पुलवामा के हमले में शहीद हुए उन 40 जवानों के परिजनों को अपने-अपने तरह से श्रध्दाजंली दे रहा है। लेकिन इस सब के बीच एक शख्स ऐसा भी रहा। जिन्होंने शहीद जवानों को श्रध्दाजंली देने का अनोखा तरीका निकाला और शहीद हुए 40 जवानों के घर पहुंच कर उनके गांव की मिट्टी को नमन किया।
उस शख्स का नाम है उमेश गोपीनाथ जाधव। मूलरूप से बेंगलुरु के निवासी जाधव के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के इस अनोखे तरीके के कारण शुक्रवार को श्रीनगर (Shreenagar) में सीआरपीएफ (CRPF) के लेथपोरा कैंप शहीदों के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उन्हें खास मेहमान के तौर पर बुलाया गया था।



कैसे मिलीं प्रेरणा कि कर ली 61 हजार किमी. की यात्रा
उमेश पिछले साल पुलवामा हमले में शहीद हुए सभी 40 शहीद जवानों के घर गए और उनके गांव की मिट्टी को नमन करते हुए उसे मिट्टी इकट्ठा की। 61 हजार किलोमीटर की यात्रा के लिए उन्हें किसी प्रकार का कोई डोनेशन नहीं लिया। इस यात्रा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। बताया कि अजमेर में एक म्यूजिक कंसर्ट में भाग लेने के बाद 14 फरवरी को जब वें वापस लौट रहे थे तो जयपुर एयरपोर्ट पर टीवी स्क्रीन में यह न्यूज लगातार चलने लगी। आत्मघाती हमले में 40 जवानों की शहादत ने उन्हें विचलित कर दिया। उन्होंने उसी समय ठान लिया कि शहीद परिवारों के लिए कुछ ना कुछ किया जाए।
उन्होंने आगे कहा- “मुझे गर्व है कि मैंने पुलवामा हमले के सभी शहीदों के परिजनों से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। पैरेंट्स ने अपने बेटे खोए, पत्नी ने अपने पति खोए, बच्चों ने पिता और दोस्तों ने अपने दोस्त खोए। मैंने मिट्टी उनके घर और श्मशान से उठाए।”


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