मिलिए बसपा को छोड़ सपा का दामन थामने वाले इस पूर्व विधायक से जिन्हें नहीं पता है देश के उपराष्ट्रपति का नाम!


जनपद आगमन पर कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय पर किया स्वागत

जनसंदेश न्यूज़ 
मऊ। बसपा की नीतियों से खफा होकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के मौजूदगी में सपा का दामन थामने वाले पूर्व बसपा विधायक उमेश चन्द्र पाण्डेय बुधवार को पार्टी कार्यालय पर पहुंचे। जहां कार्यकर्ताओं ने फूल-माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान उनके दर्जनों समर्थकों ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया। स्वागत के बाद पूर्व विधायक ने प्रेस कांफ्रेस किया। 
पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त है और अपराधी मस्त है। कहा कि जिस दल में थे उस दल में उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ 19 सालों तक सेवा दिया और 9 साल तक कार्यकर्ता बनकर काम किया। लेकिन उसका परिणाम घोसी लोकसभा में देखने को मिला। बसपा की नीतियों से आहत होकर उन्होंने सपा का दामन थामा। 
कहा कि बसपा आज अपने नीतियों और मूल सिद्धांतों से भटक गई है। इसके चलते वहां हमारा ही नहीं बहुत से पार्टी नेताओं का दम घुट रहा है। इनमें अधिकांश लोगों ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। समाजवादी पार्टी की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष सपा अखिलेश यादव के समक्ष पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया। भविष्य में उनका जो भी निर्देश होगा पार्टी के हित में कार्य करेंगे और संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे। 
जिलाध्यक्ष धर्मप्रकाश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी की नीतियों में विश्वास रखने वाले लोगों की आस्था दिन प्रतिदिन समाजवादी परिवार में बढ़ रही है। इस क्रम में बसपा से आये पूर्व विधायक के आने से पार्टी को निश्चित रूप से मजबूती मिलेगी। 
स्वागत समारोह में राष्ट्रीय सचिव रामहरि चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र यादव साधू, कुद्दुस अंसारी, रविकान्त चौबे,ब्लाक चंद्रमणि यादव, रविकांत यादव, डॉ ओमप्रकाश यादव, वीरेंद्र चौहानं, शेखर पाण्डेय,पंकज चौबे, अरविंद यादव, देवनाथ याथ यादव,राजेश यादव, रामधनी चौहान,रामप्रकाश यादव,राजेन्द्र यादव, जहीर सेराज,महेंद्र चौहान,गुड़िया खातून आदि मौजूद रहे।
पूर्व विधायक को नहीं पता है उपराष्ट्रपति का नाम
मीडिया के सवालों पर उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी धर्म के आधार पर भाजपा ने सिर्फ बांटने का काम किया है। भाजपा ने जो यह कानून लाया है वह काला कानून है और इसका पुरजोर विरोध करते है। कहा कि सरकार ने हिन्दुस्तान की जनता को सिर्फ ध्यान भटकाने का काम किया है। कहा कि एनआरसी में यहां के उपराष्ट्रपति का नाम नहीं है, असम के सीएम व कारगिलयुद्ध में लड़े उनका भी लिस्ट में नाम नहीं है। मीडिया ने जब उपराष्ट्रपति का नाम पूछा तो उनकी बोलती ही बंद हो गई, कुछ देर सोचने के बाद कहा अगला सवाल कीजिए। 


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