करोड़ों की जमीन पर गलत आदेश को लेकर फंसे अपर आयुक्त समेत एसडीएम व तहसीलदार, डीएम ने कमिश्नर को सौंपी रिपोर्ट
जनसंदेश न्यूज़
मऊ। पोखरी, नाला, भीटा व सार्वजनिक प्रयोजन के करोड़ों की जमीन पर कतिपय व्यक्तियों द्वारा फर्जी इंद्राज करा लेने के मामले में गलत आदेश व निगरानी निरस्त करना तत्कालीन अपर आयुक्त प्रशासन आजमगढ़ मंडल समेत मऊ के सदर तहसील के तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार को महंगा पड़ता दिखाई दे रहा है। जिलाधिकारी ने इन अफसरों पर कार्रवाई के लिए दस्तावेज सहित पूरी रिपोर्ट मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी को सौंप दी है। मंडलायुक्त अपर आयुक्त प्रशासन अनिल कुमार मिश्र से पूरी रिपोर्ट की पड़ताल करने का निर्देश दिया है।
डीएम ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मौजा सहादतपुरा, सारहू, ग्राम खालसा दक्षिण टोला व डोमन का पुरा सहित शहर में कई ऐसी भूमि हैं जो पोखरी, नाला, भींटा व सार्वजनिक प्रयोजन की हैं। इस पर कुछ भू-माफिया फर्जी इंद्राज कराकर कब्जा जमा लिए हैं। वर्ष 20 अप्रैल 2012 को एक पक्ष ने वाद दर्ज कर इसे निरस्त करने की गुहार लगाई थी।
इस पर तत्कालीन तहसीलदार सदर श्रीप्रकाश गुप्ता ने 17 नवंबर 2014 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। प्रस्तुत रिपोर्ट में पोखरी, नाला, भीटा व सार्वजनिक प्रयोग की भूमि बताया गया है। जिसमें आदेश किए जाने का आरोप लगाया गया है। उक्त आदेश पर तत्कालीन एसडीएम सदर जगदंबा सिंह ने 20 नवंबर 14 को मोहर लगाई गई है। इस आदेश के विरुद्ध दो निगरानियां तत्कालीन अपर आयुक्त प्रशासन राजेंद्र कुमार के यहां दाखिल की गई।
इन्होंने भी बिना तहकीकात किए बिना ही उक्त आदेश को सही मानकर पांच दिसंबर 2018 को निगरानी निरस्त कर दी। डीएम के अनुसार तत्कालीन तहसीलदार सदर, एसडीएम व अपर आयुक्त प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि उक्त अधिकारियों की ओर से सार्वजनिक भूमि बचाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। ऐसे में इन अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
इस संबंध में मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। सार्वजनिक भूमि किस तरह से फर्जी रूप से इंद्राज कर दी गई, इसकी गंभीरता से पड़ताल की जानी चाहिए थी। लेकिन संबंधित अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। पत्रावलियों की जांचकर दोष के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डीएम ने कहा कि पूरे मामले में मंडलायुक्त महोदय को अगवत करा दिया गया है। एसडीएम व अपर आयुक्त के फैसले का आदेश व तहसीलदार की रिपोर्ट की कापी भी भेज दी गई है। आगे का मामला उनके संज्ञान में है।