‘काशी से महाकाल’ के लिए रवाना हुई यह ट्रेन, खासियत जानकार आप भी बोल पड़ेंगे वाह!


रोमांच के साथ सुगम यात्रा से लोग हुए आनंदित


यात्रियों का पारम्परिक राजस्थानी पोशाक में यात्रियों का किया स्वागत


बोले यात्री काशी से महाकाल का दर्शन हुआ आसान


पहले दिन यात्रियों को उपहार स्वरूप आईआरसीटीसी का छाता

अश्वनी कुमार श्रीवास्तव/रवि प्रकाश सिंह


वाराणसी। काशी से महाकाल इंदौर के लिए चलाई गई पहली कारपोरेट ट्रेन काशी महाकाल एक्सप्रेस गुरुवार से आधिकारिक रूप से पटरी पर दौड़ने लगी। वाराणसी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नम्बर सात से अपराह्न 2.45 मिनट पर ट्रेन अपने गंतव्य की ओर रवाना हुई। आधिकारिक संचालन के लिए आईआरसीटीसी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, एडीआरएम रवि प्रकाश चतुर्वेदी, स्टेशन निदेशक आनंद मोहन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 
यात्रिओ में इस ट्रेन के चलने से उत्साह साफ दिखा। सभी ने एक स्वर में कहा कि तीन ज्योतिर्लिंग को जोड़ने के लिए रेलवे की इकाई आईआरसीटीसी की यह एक बेहतर पहल है। इससे न सिर्फ शिव भक्तों को दर्शन पूजन में आसानी होगी बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। 



उपहार स्वरूप दिया गया आईआरसीटीसी का छाता
आईआरसीटीसी की ओर से आधिकारिक घोषणा की गई थी कि ट्रेन के पहले दिन के संचालन पर तेजस की तरह यात्रियों को उपहार दिया जाएगा। जिसके तहत पांच स्पेशल यात्री जिन्होंने पहले टिकट बुक कराया था। उन्हें स्वच्छ भारत-सुंदर भारत व एक छाता आइआरसीटीसी ने उपहार स्वरूप दिया। इस स्वागत से सभी के चेहरे खिल उठे। 



नही दिखा कोई मंदिर
काशी महाकाल ट्रेन के जिस कोच की सीट पर अस्थाई मंदिर होने की सियासत हो रही थी। ऐसा कुछ कोच नम्बर 5 के सीट नम्बर 64 पर नही दिखा। यह सीट पूरी तरह से खाली थी। जिसपर अगले स्टेशन पर यात्री का टिकट बुक था। 



लखनऊ तक दौड़ी 110 की रफ्तार से
काशी महाकाल ट्रेन वाराणसी से लखनऊ तक 110 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ी। रेलवे इंजीनियरिंग सूत्रों की माने तो यह लाइन 110 किलोमीटर की रफ्तार से चलने की लिए है। कानपुर के बाद इसकी रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा हो गया। ट्रेन अगले दिन सुबह 9.30-9.40 के बीच इंदौर पहुंच जायेगी।



पहला टिकट कराने वाले को विशेष उपहार
वाराणसी के संदीप यादव ने वाराणसी से इंदौर के लिए इस ट्रेन में सबसे पहले टिकट बुक किया था। जिनको अश्वनी कुमार श्रीवास्तव द्वारा विशेष उपहार दिया गया।



ये है मैसेंजर सिस्टम यात्रियों को परेशानी होने पर वो कोच अटेडेंस को सूचित करेगा। इसके बाद इस सिस्टम से एनाउंस होगा।



शंख, घंटी, ढोल, मजीरा के साथ सभी कोच में यात्रियों का स्वागत किया गया।



हर कोच के दरवाजे पर सीसीटीवी लगाया गया है



हर दरवाजे पर वीडियो स्क्रीन है, जो बताएगा कि ट्रेन किस स्पीड से चल रही है। कौन सा स्टेशन आने वाला है।



हर कोच के दरवाजे पर एन्टी फायर सिस्टम है।



काशी महाकाल एक्सप्रेस पर अराजक तत्वों की टेढ़ी नजर रही। जहां अराजक तत्वों ने पत्थर मारकर बी 2 के 12 नम्बर सीट के पास का शीशा तोड़ा दिया। इसके पहले भी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत को अराजक तत्वों ने निशाना बनाया था। जिसके बाद उसकी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई।



हर कोच के दरवाजे पर गार्ड की तैनाती की गई है, जो स्टेशन के आटे ही दरवाजा को खोलेगा और सिटी बजारकर यात्रियों को संकेत करेगा कि ट्रेन चलने वाली है। 



ट्रेन में यात्रियों को मिलने वाला मेन्यू
इस ट्रेन में दोपहर में जहां यात्रियों को नाश्ते में चाय, रेल नीर की बोतल, दो कचौड़ी, दो सोनपापड़ी दिया गया। वहीं डिनर में अरहर की दाल, कढ़ाई पनीर, ड्राई मिक्स, दही, जीरा राइस, राजमा मसाला, गाजर का हलवा, गुलाब जामुन, आईस्क्रीम मिला। वहीं दूसरी तरफ भोजन के साथ ही एक संदेश दिया गया कि हम शपथ लेते है कि प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। 


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