काशी में विराजते हैं द्वादश ज्योर्तिंलिंग, पढ़िएं शिवरात्रि पर महादेव का कैसे करें पूजन


भगवान आशुतोष के व्रत से मिलेगी समृद्धि


रात्रि जागरण भी जीवन को बनायेगा मंगल

जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। भगवान शिव की महिमा में ही फाल्गुल मास की कृष्णपक्ष की चतुदर्शी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिवजी से इसी दिन हुआ था। जिसके फलस्वरुप महाशिवरात्रि मनाने की परंपरा है। इस बार 21 फरवरी शुक्रवार को सायं पांच बजकर 22 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन 22 फरवरी शनिवार की रात्रि सात बजकर तीन मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि में मध्यरात्रि में भगनवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होगा। 



कैसे करें शिव की आराधना 
महाशिवरात्रि को व्रत का विशेष महत्व है इस दिन व्रत करने से जीवन में मंगल की प्राप्ति होती है इसके साथ ही जन्मजमांतर के पापों का क्षय होता है। 21 फरवरी को व्रत रख कर 22 शनिवार को इसका पारण करना होगा। 



क्या-क्या है पूजन योग्य सामग्री
महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव का दूध व जल से अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, चंदन, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य, के साथ बेलपत्र कनेर, धतूरा, मदान, ऋृतृफल, नैवेद्य, आदि अर्पित करके धूप दीप के साथ ही पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर ही पूजा करनी चाहिए। शिव भक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म व तिलक लगाकर शिव की स्तृति करें तो विशेष फल की प्राप्ति होगी । 



स्तुति में यह स्तोत्र होगा फलदायी
शिवरात्रि पर भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा, के साथ साथ शिव-सहस्त्रनाम, शिव महिम्ना स्तोत्र, शिवताण्डव स्तोत्र, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही सर्व कल्याण कारक मंत्र पंचाक्षर है जो ऊं नमरू शिवाह है। महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण से जन्म जन्मांतरण के पापो का क्षय होगा। 



काशी में विराजते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग 
काशी में भी द्वादश ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। सोमनाथ (मानमंदिर), मल्लिकार्जुन (सिगरा), महाकालेश्वर (दारानगर), केदारनाथ (केदारघाट), भीमशंकर (नेपाली खपड़ा), विश्वेश्वर (विश्वनाथ गली), त्र्यम्बकेश्वर (हौजकटोरा बांसफाटक), वैद्यनाथ (बैजनत्था), नागेश्वर (पठानी टोला), रामेश्वरम (रामक़ुण्ड), धुश्मेश्वर (कमच्छा), ओंकारेश्वर (छितनपुरा)में स्थित है। 
ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार शिवरात्रि पर रात भर चार पहर की पूजन करना विशेष फलदायी है। जिसके तहक प्रथम पहर में शिवलिंग को गो दुग्ध से स्नान कराएं, दूसरे पहर में दही से, तीसरे में घी से और चौथे में मधु से स्नान कराकर षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।


 


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