दूसरों को आईना दिखाने वाले खुद बनें आईना

 


इंटिग्रेटेड सोसाइटी ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स के सालाना समारोह में पत्रकारिता की चुनौतियों पर चर्चा


अपनी भाषा में काम करें पत्रकार, अपने कार्यक्षेत्र का ब्रांड एंबेस्डर बनने का प्रयास करें


भ्रम न पालें, हिन्दी के मुकाबले अधिक शोधपरक और तथ्यपूर्ण नहीं होती अंग्रेजी पत्रकारिता



जनसंदेश न्यूज


रामनगर। इंटिग्रेटेड सोसाइटी ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स के सालाना समारोह में वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारों को चाहिए कि दूसरों को आईना दिखाने वालों को चाहिए को वो खुद आईना बनें। पत्रकार अपनी भाषा में काम करें और अपने कार्यक्षेत्र का ब्रांड एंबेस्डर बनने का प्रयास करें। यह एक भ्रम है कि अंग्रेजी पत्रकारिता हिन्दी के मुकाबले अधिक शोधपरक और तथ्यपूर्ण होती है। चुनौतियां जितनी बड़ी होती हैं,  संघर्ष उतना ही मज़ेदार होता है।



रामनगर के शास्त्री चौक पर गुरुवार को इंटिग्रेटेड सोसाइटी ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स का सालाना जलसा आयोजित किया गया था। संवाद का बिंदु था 'मीडिया और जनता के मध्य विश्वास कैसे बने? वक्ताओं ने कहा कि भारत में आजादी मिलने के साथ ही भाषाई पत्रकारिता में संघर्ष शुरू हो गया था। आज आवश्यकता है कि इस मत भिन्नता का त्याग करते हुए एक ऐसे मंचों की स्थापना की जाए, जो सार्वजनिक तौर पर भारतीय भाषाओं की बेहतरी के लिए काम करे। आज-कल लोग मानस के हिसाब से भी चलते हैं, जिससे टकराव और सामजिक विघटन नजर आता है। हम भले ही पढ़ते अंग्रेजी में हैं, मगर समझने का काम भारतीय भाषाओं में ही होता है। नब्बे फीसदी काम भारतीय भाषाओं में होता है। दुर्भाग्य है कि सरकारी मशीनरी हमारे साथ संवाद भारतीय भाषाओं में नहीं करती।


वक्ताओं ने कहा कि समाज को बदलने के लिए जुनून जरूरी है। पत्रकारिता एक पवित्र पेशा है। इसे ईमानदर बनकर निर्मल बनाया जा सकता है। वक्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत, त्रिलोकी प्रसाद, ललित पाण्डेय ने विचार व्यक्त किए।



इससे पहले के सत्र में आईएसएमपी के डिप्टी चेयरमैन पूर्व क्षेत्र के डॉ. प्रभाशंकर ने मीडिया पर क्रॉस ओनरशिप का मुद्दा उठाया कहा कि पत्रकारिता की पढ़ाई करने वालों को हर क्षेत्र में नौकरी का अवसर मिलना चाहिए। इस विषय को लोकसेवा आयोग की नौकरियों से जोड़ने की जरूरत है। आईएसएमपी उत्तर क्षेत्र के डिप्टी चेयरमैन सुमित कुमार पाण्डेय ने कहा कि समाज सिर्फ पत्रकारों से ही ईमानदारी की अपेक्षा क्यों करता है। जब तक पत्रकारों का जीवन स्तर बेहतर और तनावरहित नहीं होगा, तब तक समाज में अच्छी और बेहतर सोच विकसित नहीं हो सकती। मौजूदा समय में पत्रकारों को आर्थिक खतरों से बचाने की जरूरत है।


संस्था की कोषाध्यक्ष सचिव शिखा पाठक ने समाज में भावी पत्रकारों की नई पौध में पत्रकारिता के मिशन को पल्लवित करने की ज़रूरत पर बल दिया। उपांग वीसीडीडी के नेशनल प्रेसीडेंट डॉ. मनोज यादव ने समाज के लोगों पर फोकस करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि समाज ख़ुद मुखर हो और जागरूक हों, मीडिया पर बहुत अधिक दोषारोपण करने से कुछ नहीं होगा। कार्यक्रम का संचालन संस्था के चेयरमैन चंद्रशेखर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सिटी कौंसिल सिटी कौंसिल वाराणसी की चेयरमैन मनीषा सिंह ने किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ० प्रभाशंकर मिश्र और सुमित कुमार पाण्डेय ने किया।



इससे पहले साहसिक पत्रकारिता के लिए वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से नवाजा गया। साथ ही वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोकी प्रसाद और युवा पत्रकार ललित पाण्डेय को जर्नलिस्ट ऑफ़ पैशन पुरस्कार का सम्मान प्रदान किया गया। समारोह को सफल बनाने में सुकन्या रावत, अशेष मोहन, विनोद कुमार आदि ने अहम भूमिका अदा की।


 


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