देश के प्रथम प्रधानमंत्री के संसदीय का स्टेशन बहा रहा है अपनी दुर्दशा पर बह आंसू
सुविधाओं की बांट जोह रहा फूलपुर का रेलवे स्टेशन
जनसंदेश न्यूज़
फूलपुर/इलाहाबाद। अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार हो रहा फूलपुर रेलवे स्टेशन अब अपने ऐतिहासिक महत्व को खोने की कगार पर खड़ा हैं। यह स्टेशन आजादी के बाद से पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि रही है। देश को प्रथम प्रधानमंत्री देने का गौरव प्राप्त करने वाले इस ऐतिहासिक संसदीय क्षेत्र का फूलपुर रेलवे स्टेशन आजादी के 74 वर्ष बाद भी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
प्रतिमाह अच्छी आय होने के बावजूद भी इस स्टेशन पर यात्री सुविधाएं न के बराबर हैं। उत्तर रेलवे के चारबाग लखनऊ डिवीजन अन्तर्गत आने वाला यह स्टेशन कमाई में भी पीछे नहीं है। फूलपुर क्षेत्र में ही स्थित इफको कारखाने के माल ढुलाई से इस स्टेशन को करोड़ों रुपए की वार्षिक आमदनी होती है। वहीं मुंबई जाने वाली गोदान, कामायनी व सारनाथ एक्सप्रेस फूलपुर स्टेशन से ही होकर जाती है। जिससे प्रतिदिन जाने वाले यात्रियों से भी लाखों की आय होती है। इसके बावजूद भी विभाग यात्रियों को मुकम्मल सुविधाएं उपलब्ध कराने में सफल नहीं है। तीन प्लेटफार्म वाले इस स्टेशन की जहां फर्शे उखड़ गई है। वही साफ सफाई की समुचित व्यवस्था न होने से गंदगी का अंबार लगा रहता है।
पीने के पानी की नहीं समुचित व्यवस्था
प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग इस स्टेशन से यात्रा तो करते हैं लेकिन यहां यात्री सुविधाएं औंधे मुंह गिरी हुईं हैं। प्लेटफार्म पर पानी पीने के लिए लगी टोंटियां भी गंदी हैं। वहीं बैठने के लिए बने चबूतरे भी टूटे पड़े हैं, जो सुविधाओं की कसौटी पर खरा नहीं है।
शौचालय पर लटका दिया ताला
शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से भी यात्री वंचित हैं। एक नम्बर प्लेटफार्म के पास बने शौचालय की हालत जर्जर है। टिकट काउंटर के पास शौचालय बना भी है तो उसमें ताला लटका रहता है। नतीजतन शौच के लिए महिला एवं पुरुष यात्रियों को बाहर जाना पड़ता है।
दिव्यांगों के लिए सुविधाएं नदारद
फूलपुर रेलवे स्टेशन से पैसेंजर ट्रेनों का भी आवागमन होता रहता है जिससे दैनिक यात्रियों की भीड़ रहती है। ट्रेनों से सफर करने वाले दिव्यांग यात्री प्लेटफार्म नंबर एक को छोड़ दूसरे प्लेटफार्म पर आसानी से नहीं जा सकते है। इसके अलावा दिब्यांगो के लिए शौचालय,व नल के पास रैम्प सहित अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं का आभाव है।