चंदौली में अधिवक्ताओं के आंदोलन के महत्व को समझा गए दो अंजान, एक चकिया की गृहणी महिला तो दूसरे 104 वर्षीय इंसान!


104 राजेंद्र व आम गृहणी लाची देवी ने जोड़ी संघर्ष की कड़ी



आरिफ हाशमी
चंदौली। जिला न्यायालय निर्माण के लिए आंदोलन कितना अहम है सदर कचहरी में सोमवार को आवाम ने इसे देखा और महसूस भी किया। संघर्ष की इस कड़ी को दो ऐसे अंजान चेहरे मजबूती से जोड़ गए, ये वो लोग थे जो जीवन के अंतिम पड़ाव पर खड़े हैं और उनका यहां तक पहुंचना भी शायद कड़े संघर्ष से कम न था। इन्होंने आंदोलन को आगे की राह दिखाई और शांत बैठी आवाम को आइना दिखा गए। 104 वर्षीय राजेंद्र तिवारी तो इसे आजादी के आंदोलन सरीखा बता गए। वहीं आम गृहणी लाची देवी भी जिले के विकास के महत्व को अपनी गंवई भाषा में समझा गईं।
अधिवक्ताओं के आंदोलन में पहुंचे ये बुजुर्ग कोई प्रखर वक्ता नहीं थे और ना ही इनका सामाजिक व राजनीतिक जीवन ही रहा है। लेकिन जिले के विकास में विलंब के बाद जब आंदोलन की आवाज मुखर हुई तो वे खुद को इस आंदोलन से जोड़ने से रोक नहीं पाए। परासी कला निवासी 104 वर्षीय राजेंद्र तिवारी, 15 किलोमीटर दूर चलकर सदर कचहरी पहुंचे थे। ये स्वतंत्रा संग्राम के आंदोलन में जेल गए और 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो दोपहर 12:55 पर उन्हें वाराणसी के चौका घाट स्थित कारागार से रिहा किया गया। उन्होंने आजादी के आंदोलन की स्मृति पर रौशनी डाली और जिला न्यायालय निर्माण के लिए आंदोलनरत अधिवक्ताओं के संघर्ष को जायज बताया। कहा कि आप जो आंदोलन चला रहे हो, यह आजादी का काम है।


 
उधर, चकिया निवासी आम गृहणी लाची देवी भी अधिवक्ताओं के आंदोलन में पहुंची। अधिवक्ताओं ने इनके सहयोग का सम्मान किया। लाची देवी के अभिभाषण को लोगों ने गंभीरता से सुना और उसे संज्ञान में भी लिया। वे बड़ी ही सरलता से अपनी गंवई भाषा में आंदोलन के महत्व को समझा गयी। इन दोनों बुजुर्गों ने आवाम को अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष के लिए उठ खड़ा होने का आह्वान किया।
पूर्व सैनिक व समाजसेवी के साथ पूर्व सांसद ने किया समर्थन
जिला प्रशासन से नाराज अधिवक्ताओं ने कलम बंद हड़ताल करके जुलूस की शक्ल में कचहरी से बाहर निकले। सर्विस रोड से होते हुए पुलिस अधीक्षक आवास से पैदल मार्च करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय व कोतवाली होते हुए कचहरी पहुंचे और आंदोलन को धार देने का काम किया। इस दरम्यान कई जनप्रतिनिधियों व संगठनों ने आंदोलन को समर्थन देने का भी ऐलान किया। जिसमें समाजवादी नेता व पूर्व सैनिक अंजनी सिंह, पूर्व सांसद रामकिशुन प्रमुख रहे। 
अंजनी सिंह ने कहा कि लोगों को भ्रमित करना भाजपा की मुख्य नीति है और इसी नीति के आधार पर भाजपा ने सत्ता तो हथिया ली, लेकिन जिले के विकास को लेकर कोई पहल नहीं की। पूर्व सांसद रामकिशुन ने अधिवक्ताओं के आंदोलन में जान फूंकी और कहा कि भाजपा व जिला प्रशासन ने जिले की आवाम को छलने का काम किया। मद में रुपये पड़े होने के बावजूद जिला प्रशासन उसे खर्च नहीं कर पाया। 
डेमोक्रेटिक बार अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने कहा कि अधिवक्ता अपनी जायज मांगों के लिए सड़क पर उतरे हैं तो लक्ष्य हासिल करके रहेंगे। इस अवसर पर सिविल बार अध्यक्ष नन्दलाल प्रजापति, महामंत्री राजेश दीक्षित, मोहम्मद अकरम, शमशुद्दीन, सुल्तान अहमद, नीरज सिंह, उज्ज्वल सिंह, दिनेश यादव, योगेश सिंह, ऋषिकेश सिंह, अमित सिंह, विकास, इमरान, प्रवीण यादव, चंद्रभूषण यादव, श्रीनिवास पाण्डेय आदि उपस्थित रहे। संचालन राकेश रत्न तिवारी व झन्मेजय सिंह ने किया।
 


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