आतंक का पर्याय बने पांडेयपुर के दरोगा केपी यादव की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत

 


दरोगा और दबंगों की गुंडई की जांच कराएंगे एसएसपी


बोले एसएसपी, किसी व्यक्ति के पुश्तैनी मकान पर नहीं होने दिया जाएगा कब्जा, कानून हाथ में लेने वाले पर होगा एक्शन


पीवीसीएचआर ने की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत, आयोग ने किया मामले का इनरोलमेंट



जनसंदेश न्यूज


वाराणसी। पांडेयपुर में पुश्तैनी मकान पर कब्जा करने के लिए दबाव वाले वाले दबंगों के अलावा चौकी पुलिस के दरोगा केपी यादव की कार्यप्रणाली की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई। संभ्रांत नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पांडेयपुर का चौकी इंचार्ज दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उल्टे ही उत्पीड़न की कार्रवाई कर रहा है। एसएसपी ने कहा कि अगर कोई पुलिसकर्मी किसी मकान पर जबरिया कब्जा कराने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच पुलिसिया उत्पीड़न के खिलाफ पीवीसीएचआर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। अखबार में छपी खबर के आधार पर आयोग ने मामले को इंरोलमेंट कर लिया है।


पांडेयपुर निवासी भवन स्वामी अनिल कुमार संभ्रांत नागरिकों के साथ बुधवार को पूर्वाह्न नौ बजे कचहरी स्थित उनके दफ्तर पहुंचे और उन्हें मंगलवार को हुई पुलिसिया उत्पीड़न के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि पांडेयपुर में उनका पुश्तैनी मकान संख्या सा.1/88 है, जिसे ढहाने के लिए नगर निगम में अर्जी दे रखी है। वो अपने मकान की मरम्मत कराने चाहते थे, लेकिन पांडेयपुर चौकी का दरोगा एक मनबढ़ दुकानदार को दबाव में लेकर समूचे भवन पर कब्जा करने की फिराक में है। चौकी का दरोगा केपी यादव उसे सहयोग और संरक्षण दे रहा है।



उन्होंने बताया कि एक मनबढ़ व्यक्ति विनोद कुमार श्रीवास्तव अवैध तरीके से उनके आवास में घुस गया है और जबरिया दुकान खोल दी है। दबंग दुकानदार विनोद श्रीवास्तव के प्रभाव में आकर दरोगा केपी यादव ने उसके पक्ष में खड़ा होकर एक हफ्ते पहले काम रोकवा दिया था। हफ्ते भर बाद प्रार्थी ने 25 फरवरी 2020 को काम शुरू कराया तो दरोगा केपी यादव ने फिर दबंगई दिखाई। 26 फरवरी 2020 को काम शुरू हुआ तो दरोगा पुनः मौके पर पहुंचा और मेरे पुत्र अंकुर जायसवाल को पकड़ लिया और बदसलूकी शुरू कर दी। अंकुर का हाथ उमेठ दिया और उसका मोबाइल भी तोड़ दिया। बाद में दरोगा मेरे पुत्र को थाने ले गया और मारपीट करके जमीन पर बैठा दिया। दरोगा ने गालियां और धमकियां भी दी। दुकानदार विनोद कुमार श्रीवास्तव प्रार्थी से पांच लाख रुपये रंगदारी की मांग कर रहा है। वो कई बार धमकी भी दे चुका है।



भवन स्वामी ने आरोप लगाया कि विनोद कुमार और उसका बेटा मधुकर चित्रांश दबंग और जालसाज हैं। इन्होंने झूठे अभिलेख के आधार पर कोर्ट से एकतरफा स्थगनादेश हासिल किया है। इसने कोर्ट में जो हलफनामा दिया है और किरायेदारी का अभिलेख नत्थी किया है उसके मुताबिक उसने 1978 में भवन स्वामी पिता गुलाबदास से लिखित रूप से किरायेदारी तय की थी, जबकि उनके पिता ने भवन संख्या सा-1/88 पांडेयपुर का बैनामा 11 जनवरी 1984 को लिया था। भवन की रजिस्ट्री लेने से सात साल पहले कोई व्यक्ति किसी मकान को किराये पर कैसे उठा सकता है? एसएसपी ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। एसएसपी ने यह भी कहा कि भवन स्वामी को मरम्मत आदि का कार्य करने से कोई भी व्यक्ति नहीं रोक सकता है। अगर भवन जर्जर है तो नगर निगम की अनुमति लेकर उसे ढहवा सकता है। ऐसे मामले में स्थगन आदेश मान्य नहीं होगा।


इस बीच मानवाधिकार जननिगरानी समित (पीवीसीएचआर) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को चिट्ठी भेजकर पुलिसिया उत्पीड़न की शिकायत की है। शिकायत में अखबार में छपी रिपोर्ट पांडेयपुर का ये दरोगा नहीं, वर्दी वाला गुंडा है...का विस्तार से जिक्र किया गया है। आयोग ने इस मामले को इनरोलमेंट कर लिया है। आयोग शीघ्र ही दरोगा और दबंग लोगों के उत्पीड़न की उच्चस्तरीय जांच कराएगा। इस मामले में पुलिस अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी।


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