तीरंदाजी में एकलव्य हैं श्रीयशस के आदर्श, चंदौली में चल रहे राष्ट्रीय अंडर 14 तीरंदाजी में जनसंदेश से की खास बातचीत 


हैदराबाद का किशोरवय छात्र कर रहा है तेलंगाना का प्रतिनिधित्व

जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। देश में तीरंदाजी या धनुर्विद्या के क्षेत्र में एक किशोर ने दस्तक देना शुरु किया है। ढेर सारे सपने लेकर कुछ कर दिखाने और भारत का नाम रोशन करने के लिए इस खेल को लेकर स्वयं में वह अपार संभावनाएं भी देख रहा है। खास यह कि उसने महाभारत के पात्र अर्जुन और कर्ण के बजाय महान धनुर्धर एकलव्य को अपना आदर्श माना है। ये हैं हैदराबाद के कल्लुरि श्रीयशस मोहन। उनकी मंजिल तीरंदाजी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करना है।
चंदौली में इन दिनों चल रहे राष्ट्रीय स्कूली खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आये श्रीयशस से ‘जनसंदेश टाइम्स’ ने खास बातचीत की। 13 वर्षीय कक्षा-8 के छात्र श्रीयशस तीरंदाजी के लिए ‘कंपाउंड’ श्रेणी का तीर-धनुष प्रयोग करते हैं। तीन प्रत्यंचा वाला यह धनुष न सिर्फ वजन में अधिक होता है बल्कि उस पर तीर चढ़ाकर कम से कम 60 पाउंड का भार पीछे खींचने के लिए बहुत अधिक दमखम की जरूरत होती है।



अमेरिका में आमतौर पर शिकार के लिए कंपाउंड श्रेणी के तीर-धनुष का प्रचलन है। इसे चलाना सबसे बस की बात नहीं। श्रीयशस के पिता कल्लुरि किरन चंद्रा कारोबारी और मां शिल्पा गृहणी हैं। परिवार का कोई भी सदस्य तीरंदाजी के खेल में नहीं रहा लेकिन इस किशोर ने अपने स्कूल में उपलब्ध तीरंदाजी खेल को अपनाते हुए इस दिशा में आगे बढ़ने की सोची। महाभारत की कथा के अनुसार ने अपने मानस गुरु द्रोणाचार्य को गुरुदक्षिणा के तौर पर एकलव्य ने अपना अंगूठा काटकर दे दिया था।
कहते हैं कि उसी के बाद एकलव्य तर्जनी और मध्यमा अंगुली का प्रयोग कर तीर चलाने लगा। माना जाता है कि वहीं से तीरंदाजी के आधुनिक तरीके का जन्म हुआ। श्रीयशस ने इन सभी पात्रों को पढ़ा है। भौतिक विज्ञान उनका प्रिय विषय है। तीरंदाजी में खुद को साधने के लिए वह प्रतिदिन लभगभग 4-5 घंटे अभ्यास करते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रतियोगिताओं में सफलता हासिल करने के लिए 72 तीर चलाना हंसी-खेल नहीं।



उन्होंने कहा कि कंपाउंड में सीखना आसान है लेकिन उसे चलाकर तीर निशाने पर लगाना काफी मुश्किल। हालांकि धनुष का भार अधिक होने के कारण न सिर्फ निशाना सही लगता है बल्कि स्कोरिंग भी अधिक होती है। इस बारे में कोच एवं भारत के पूर्व खिलाड़ी आईआर सनम ने उन्हें कई गुर सिखाए हैं। बीते पांच साल से तीरंदाजी कर रहे श्रीयशस अंडर 14 वर्ग की राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए तेलंगाना राज्य की टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में आयोजित तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर सबका ध्यान खींचा है। भविष्य में भी इस खेल में वह और आगे का रास्ता तय करना चाहते हैं।


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