पढ़िए किस तरह कबाड़ की दुकानों पर खपाएं जा रहे है चोरी के वाहन और कैसे चलता है धंधा


जनसंदेश न्यूज 
प्रयागराज। इन दिनों क्षेत्र में कबाड़ की दुकानों पर धड़ल्ले से बिना परमिशन के कटिंग किए जा रहे नए और पुराने वहान, चोरी के वाहनों के सबसे मजबूत खरीदार कबाड़ के दुकानदार साबित हो रहे हैं। यहां बाइक के पुर्जे अलग कर बड़े शहरों तक पहुंचाने का कारोबार होता है। जमुनापार क्षेत्र उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश की सीमा से लगे होने के कारण अंतरराज्यीय चोर भारी संख्या में एक प्रदेश के वाहन दूसरे प्रदेश में बेचने का गोरख धंधा कर रहे है।  
दुकानों पर नये, पुराने वाहन तो कटते ही है साथ ही कबाड़ में ऐसे सामान भी खरीदकर तोड़े जा रहे है। जिनसे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। यहां पुरानी बैट्रियों के साथ-साथ पुराने सिलेंडरों को भी तोड़ने का काम धड़ल्ले से होता है। रिहाइसी इलाकों के भीतर ही कबाड़ की दर्जनों दुकानें चल रही हैं। आबादी के बीच चलने वाली इन दुकानों पर हर चीज कबाड़ के भाव खरीदी जाती है। छोटी बड़ी गाड़ियों को काटकर कबाड़ में तब्दील कर देना इन दुकानदारों के बाएं हाथ का खेल है। दुकानदारों के पास न तो कबाड़ खरीदने का लाइसेंस है, और न ही वाहनों को काटने की अनुमति, फिर भी यहां सभी काम बेखौफ होता है। 
वाहनों के कबाड़ करने ले लिए संबंधित आरटीओ से प्रमाण पत्र की अनिवार्यता होती है, लेकिन यहां पर पुलिसिया परमिशन पर वाहनों का खुलेआम कटिंग हो रहा है। जिससे शासन को भारी राजस्व की हानि हो रही है। कबाड़ की दुकानें बड़ी आबादी के लिए खतरा बनी हुई हैं, क्योंकि इन दुकानों पर निष्प्रयोजय बैट्रियों को तोड़कर प्लेट निकालने और गैस सिलेंडर को तोड़कर चद्दर बनाने का काम भी होता है। यह दोनों काम ऐसे हैं कि ऐसा करते समय कभी भी विस्फोट जैसी घटना हो सकती है।
कबाड़ के दुकानदारों के तार मध्यप्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ तक जुड़े होने की संभावना है।  सूत्र बताते है कि कबाड़ में बिकी अगर किसी गाड़ी की कंडीशन ठीक होती है तो बातचीत कर सीमा पार भेजने का काम होता है। गाड़ी की हालत और माडल नंबर के आधार पर रेट फिक्स होता है।


मिली जानकारी के मुताबिक अधिकतर कबाड़ की दुकानों से हर तीसरे दिन कबाड़ लदी गाड़ियां कानपुर के लिए निकलती हैं। एक दुकानदार ने बताया कि प्रति गाड़ी के सील क्षेत्र के पीछे लगभग पचास हजार की बचत हो जाती है। कस्बे से हर तीन दिन पर चार से पांच गाड़ियां कानपुर के लिए निकलती हैं। कबाड़ की दुकानें इन दिनों बेहतर आय का जरिया बनी हुई। कबाड़ की दुकानों पर चोरी के वाहन धड़ल्ले से खरीदे जाते हैं। क्षेत्र के नारीबारी, खीरी, सेमरी, कांटी, कर्मा गौहनिया आदि जगहों पर दर्जनों की संख्या में स्थानीय पुलिस प्रशासन के निगरानी में कबाड़ की दुकाने फल फूल रही है। कुछ माह पहले पुलिस ने कबाड़ के दुकानदारों को चोरी के वाहन खरीदने के आरोप में गिरफ्तार करते हुए कार्रवाई भी की, लेकिन अभी भी चोरी की गाड़ियां कबाड़ की दुकानों के जरिये ही ठिकाने लगाई जा रही हैं।


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