कैफ़ी आजम़ी: ईद पर नहीं पहनते थे नए कपड़े, क्योंकि........
101वें जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर दी श्रध्दाजंली
आजमगढ़। 1919 में 14 जनवरी की तारीख को मशहूर शायर कैफ़ी आजमीं (Kaifi Azmi) का जन्म हुआ। आजमगढ़ की धरती पर जन्मे आजमीं प्रेम की कविताओं से लेकर बॉलीवुड गीतों, पटकथाओं तक लिखने में माहिर थें। 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक कैफ़ी आजमीं के 101वें जन्मदिवस पर गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाकर उनको श्रध्दाजंली अर्पित की।
सैयद अतहर हुसैन रिजवी यानी कैफ़ी आज़मी (Kaifi Azmi) ने अपनी पहली कविता 11 साल की उम्र में लिखी थी। इन्होंने अपने लेखन का उपयोग सामजिक, आर्थिक सुधार करने के लिए किया। कैफ़ी आजमीं (Kaifi Azmi) को 3 फिल्मफेयर, साहित्य और शिक्षा के लिए प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार सहित साहित्य अकादमी से फैलोशिप भी प्राप्त हुआ।
इनकी सबसे प्रसिध्द कविताओं में से एक ‘औरत’ में इन्होंने महिलाओं के समानता की बात की हैं। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं और परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने तथा विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं के समर्थन करने के लिए एनजीओ की भी स्थापना की। उर्दू अदब की पहली श्रेणी के शायर कैफी आजमीं ने सिनेमा के लिए कई सारे गीत लिखें है।
इनके अंदर बचपन से ही मानवीय संवेदनाएं इतनी प्रखर की थी कि ये सिर्फ इसलिए ईद के अवसर पर नए कपड़े नहीं पहनते थे, क्योंकि किसान के बच्चे नए कपड़े नहीं पहनते थे। बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस शबाना आजमी (sabana azmi) और बाबा आज़मी इनके दो बच्चे हैं।