इस मामले में बीडीओ की तहरीर पर 36 सचिवों के खिलाफ मुकदमा दर्ज


करोड़ों के घोटाले में 14 वर्ष बाद हुई कार्रवाई



जनसंदेश न्यूज
बैरिया/बलिया। देर आये दुरुस्त आये के तर्ज पर संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत काम के बदले अनाज कार्यक्रम में हुए कथित रूप से करोड़ों के घोटाले में 14 वर्ष बाद 36 ग्राम विकास/पंचायत अधिकारियों पर तत्कालीन खंड विकास अधिकारी पीके सिंह की तहरीर पर भादवि के धारा 409 व 201 के तहत मंगलवार की देर रात बैरिया पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।
बता दें कि संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत 2002 से 2006 तक काम के बदले अनाज कार्यक्रम के तहत प्रत्येक मजदूर को मजदूरी के बदले प्रतिदिन पांच किलो खाद्यान्न व 23 रुपये नकद देने का प्रावधान था किंतु सरकारी अभिलेखों की जांच में इसमें बड़ी गड़बड़ी पाई और बार-बार जांच एजेंसी के कहने के बावजूद कार्यदाई संस्था द्वारा प्राक्कलन, मस्टरोल व वाऊचर उपलब्ध नहीं कराया गया।
जिसके बाद जांच एजेंसी ने इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश शासन को लिखित प्रतिवेदन दिया। शासन के निर्देश पर डीएम ने एफआईआर कराने का निर्देश खंड विकास अधिकारी को दिया। किन्ही कारणवश तहरीर देने के लगभग तीन महीने बाद पुलिस ने मंगलवार की रात मुकदमा दर्ज किया।
ज्ञातव्य हो कि इसी प्रकरण में आर्थिक अपराध अनुसंधान की जांच रिपोर्ट पर 28 कोटेदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद सभी कोटेदरों को प्रशासन ने निलंबित कर दिया था। कुछेक कोटेदारों को जेल भी जाना पड़ा था किंतु बाद में प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश के बाद सभी कोटे की दुकान बहाल हो गई थी। जिन 36 ग्राम विकास /पंचायत अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराए गए हैं, उनमें अधिकांश सरकारी नलकूप चालक हैं, दो कल्याण सिंह शासन काल में ग्राम विकास /पंचायत अधिकारी बनाए गए थे।
कई सचिव हो चुके है सेवानिवृत्त
एक और हैरतजेब मामला है कि जिन 36 ग्राम विकास/पंचायत अधिकारियों पर एफआईआर कराया गया है, उनमें दो की मौत हो चुकी है जबकि एक दर्जन लोग सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जिनकी मौत हुई है, उसमें रामबहादुर व रामजी सिंह शामिल है। जबकि सेवानिवृत्त होने वालों में अवध बिहारी ओझा, शंभूनाथ लाल, राजेंद्र सिंह, हरेराम मिश्र, हलवंत तिवारी, ओम प्रकाश सिंह सहित लगभग एक दर्जन लोग शामिल हैं। वहीं विनय कुमार सिंह व अवधबिहारी ओझा सहित कई लोगों ने प्राक्कलन, मस्टरोल व वाऊचर खंड विकास अधिकारी के माध्यम से कई बार आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग को देने के लिए रिसीव करा दिए थे। बावजूद इसके विभागीय लापरवाही के कारण उन पर भी एफआईआर करवा दिया गया। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।                                                         

क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि तत्कालीन खंड विकास अधिकारी बैरिया पीके सिंह के तहरीर पर 36 ग्राम विकास /पंचायत अधिकारियों पर एफआईआर किया गया है। मामले में विवेचना की जाएगी। संबंधित आरोपित अगर उचित दस्तावेज दे देते हैं तो ठीक है, अन्यथा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगा।
 


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