हवाई जहाज और किसान रेल से भेजे जाएंगे कृषि उत्पाद, कैसे होगा मुमकिन-ये बता रहे हैंं देश के जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री प्रो.साकेत कुशवाहा

लालू नहीं चला पाए, मोदी सरकार जरूर दे देगी किसान रेल को रफ्तारः प्रो.साकेत


लालू की योजना को अमलीजामा पहनाएंगी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण


कृषि उत्पादों को ट्रेन के रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी



विजय विनीत


वाराणसी। मोदी सरकार को दोबारा सत्ता में लाने के लिए गलियारा देने वाले किसानों को वित्तमंत्री सीतारमण ने बड़ी राहत दी है। सरकार ने एक ओर जहां किसान रेल चलाने का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर कृषि उत्पादों को हवाई जहाज से भेजने की मुकम्मल योजना बनाई है। इससे उन प्रगतिशील किसानों को मुनाफा होगा, जो हरितक्रांति के लिए हाड़तोड़ मेहनत कर रहे हैं...। खेती-किसानी में देश की तरक्की और अपने भविष्य का सपना देख रहे हैं...। अपनी उपज विश्व बाजार में पहुंचाने और विकास की नई इबारत लिखने की कोशिश कर रहे हैं...। मोदी सरकार ने ऐलान कर दिया है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी। किसान समृद्ध होगा और क्रय शक्ति बढ़ेगी। अर्थव्यवस्था की गाड़ी दौड़ने लगेगी। इसके लिए कृषि बजट में रिकॉर्ड 1.52 लाख करोड़ की बढ़ोतरी की गई है। साल 2019-20 में इस क्षेत्र के लिए 1,30,485 करोड़ का बजट था, जिसे बढ़ाकर 2,83,000 करोड़ कर दिया गया है।


देश के जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री प्रो.साकेत कुशवाहा कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में किसानों के बल पर मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई। वित्तमंत्री सीतारमण ने किसानों के दर्द को समझा और उन्हें राहत देने के लिए बजट में पुख्ता कोशिश की है। खासतौर पर उस योजना को इस बजट में पंख लगा है जिसे तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव परवान चढ़ाना चाहते थे। वित्त मंत्री ने फल, सब्जियां और मांस जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान रेल' का प्रस्ताव किया है। इसके तहत, इन उत्पादों को ट्रेन के रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी।


प्रो.कुशवाहा राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय अरुणाचल के कुलपति हैं। इन्हें लगता है कि किसान सम्मान निधि के दम पर मोदी सरकार सत्ता में आई थी, उसी तरह की पहल इस बजट में की गई है। सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जो बजट पेश किया है उसमें उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया है। खासतौर पर किसानों के लिए प्रस्तावित किसान रेल योजना को इस सरकार ने अमलीजामा पहनाने का ऐलान किया है। यद्यपि यह नई योजना नहीं है। साल 2004 में लालू ने इसी तरह की योजना की शुरु की थी, लेकिन वो मूर्त रूप नहीं ले सकी थी। सरकार को पुख्ता यकीन है को वो इस योजना को परवान चढ़ाकर किसानों का दिल एक बार फिर जीत लेगी। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक और निजी भागीदारी (पीपीपी माडल) के जरिए चलाने की योजना है। हालांकि यह चुनौती बड़ी है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी नहीं है।


प्रो.कुशवाहा कहते हैं कि बजट में अन्नदाता की आय बढ़ाने के लिए उनकी सब्जियों, फलों और मांस जैसे कृषि उत्पादों को ढोने के लिए रेफ्रिजरेटेड डिब्बों का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए किसानों के लाभ के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि जल्द खराब होने वाले सामान के लिए राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण को लेकर रेलवे पीपीपी मॉडल में किसान रेल बनाएगी। इससे ऐसे उत्पादों की ढुलाई तेजी से हो सकेगी। दरअसल सरकार चाहती है कि चुनिंदा मेल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों के जरिए जल्द खराब होने वाले सामान की ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन चलाया जाए।  फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पादों, मछली, मांस आदि को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए तापमान नियंत्रित वैन की जरूरत है। पूर्व रेलमंत्री लालू यादव ने बिहार के कृषि उत्पादों का बाजार बढ़ाने के लिए रेफ्रिजरेटेड वैन योजना शुरु की थी। 20 जून, 2004 को पटना से दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन जनसाधारण एक्सप्रेस में लगे दूध और सब्जियों से लदे एक रेफ्रिजरेटेड कोच को राजेंद्र नगर टर्मिनल से हरी झंडी दिखाकर नई दिल्ली के लिए रवाना किया था, लेकिन यह योजना कुछ दिनों में बंद हो गई।


प्रो.साकेत बताते हैं कि रेफ्रिजरेटेड वैन योजनजा के बंद होने के पीछे कई कारण थे। सबसे पहला कारण इसका व्यवहार्य नहीं होना था। गांवों से बड़े बाजारों तक माल पहुंचने में लंबा वक्त लग जाता था, उसके बाद उन्हें रेफ्रिजरेटेड वैन में लोड होने में वक्त लगता था और फिर माल को गंतव्य तक पहुंचने में भी वक्त लग जाता था। मोदी सरकार ने बनारस के किसानों की उपज गल्फ में भेजकर यह दिखा दिया है कि वो सिर्फ सपना दिखाते ही नहीं, उसे पूरा भी करते हैं।


अब ऊर्जादाता बनेंगे भारत के अन्नदाता


वाराणसी। बजट में मोदी सरकार ने खेती के लिए सौर ऊर्जा पर खासतौर पर फोकस किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अब अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाएंगी। सरकार जहां सोलर पंप योजना को बढ़ावा देगी, वहीं उन खेतों में सोलर यूनिट लगाकर उन्हें बिजली की ग्रिड से जोडा जाएगा, ताकि बिजली पैदा करके ये किसान मोटा मुनाफा कमा सकें। मोदी सरकार का जोर कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास पर है। जिन इलाकों में किसी तरह की खेती नहीं हो सकती है वहां पर सोलर यूनिट लगाई जाएंगे और उन यूनिट को बिजली की ग्रिड से जोड़ा जाएगा। योजना के तहत 15 लाख किसानों को ग्रिड से जोड़ा जाएगा। यानि इन किसानों की बंजर जमीन पर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के तहत सोलर यूनिट लगेंगी और उन्हें बिजली विभाग की ग्रिड से जोड़कर लाभ पहुंचाया जाएगा। किसान को सौर ऊर्जा से पैदा बिजली का का सीधे भुगतान किया जाएगा।


पिछले साल के बजट में नरेंद्र मोदी सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (कुसुम) योजना की शुरुआत की थी। योजना के तहत सौर ऊर्जा ऊपकरण स्थापित करने के लिए किसानों को केवल 10 फीसदी राशि का भुगतान करना होगा। योजना के तहत 60 फीसदी रकम केंद्र सरकार देगी, 30 फीसदी रकम बैंक लोन के रूप में देगी। योजना बंजर जमीन को लेकर की थी। योजना की शुरुआत जुलाई 2019 में हुई थी।


राज्य अपने स्तर पर भी सोलर पंप योजना चला रहा है। यूपी में अटल सोलर फोटोवोल्टैईक सिंचाई पम्प योजना दो और तीन हार्स पावर पंप पर 70 फीसदी और 5 हार्स पावर वाले पंप पर 50 फीसदी तक का अनुदान देती है। यूपी समेत कई राज्यों इन योजनाओं का लाभ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के आधार पर होता है। जिसके लिए कृषि विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। यूपी में सोलर पंप की भारी मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र और सोलर पंप योजना का कोटा बढ़ाने की मांग भी की थी।


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