नहीं रहे राजनीतिक पुरोधा रघुवंश प्रसाद, तीन दिन पहले ही पार्टी से दिया था इस्तीफा, मनरेगा के लिए किये जायेंगे याद


जनसंदेश न्यूज़
बिहार। राज्य की राजनीति के एक बड़े पुरोधा और लालू यादव (Lalu Yadav) के सबसे करीबी कहे जाने वाले पूर्व केन्द्रीय रघुवंश प्रसाद (Raghuvansh Prasad) की रविवार को मौत हो गई। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Delahi AIIMS) में उन्होंने अंतिम सांस ली। तीन दिन पहले ही उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से इस्तीफा दिया था। वे वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन पर बिहार में शोक की लहर है। 


तीन दिन पहले ही हॉस्पिटल के आईसीयू से पत्र लिखकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया था। जिसके बाद बिहार की राजनीति में हड़कंप मच गया था। वें 74 वर्ष के थे। राजद प्रमुख लालू यादव ने उनका इस्तीफा अस्वीकार करते हुए कहा कि आप ठीक होकर आये, उसके बाद बैठ कर बात करेंगे। सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। 


पांच बार सांसद और पांच बार रहे विधायक
उन्होंने पांच-पांच बार लोकसभा-विधानसभा और एक बार विधान परिषद में प्रतिनिधित्व किया। रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्म वैशाली जिला के शाहपुर में छह जून, 1946 को हुआ था। युवावस्था से ही रघुवंश सक्रिय राजनीति में ऐसे रमे कि बिहार के बाहर के बहुत कम लोगों को पता है कि वह गणित में पीएचडी थे और प्राध्यापक भी थे। 


1996 में लोकसभा चुनाव जीतकर रघुवंश पहली बार केंद्रीय राजनीति में गए। 1998 और 1999 में दूसरी और तीसरी बार भी जीते। 2004 में चौथी बार लोकसभा के लिए चुने गए और 23 मई 2004 से 2009 तक वे ग्रामीण विकास मंत्री मंत्री रहे। मजदूरों के लिए शुरू की गई महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पहली बार उन्होंने ही शुरू की थी। 2009 में रघुवंश पांचवी बार लोकसभा के लिए चुने गए।


 


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