आर्थिक नहीं, स्वस्थ जीवन और सरल जीवनचर्या के रोडमैपर काम करें सरकार



रितेश सिंह, दिल्ली
मधुशाला खोल कर, जनता की मांग बोल कर, ‘सरकार अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने मे लग गईं, अब भारत 5 ट्रिलियन की आर्थिक साम्राज्य कोरोना काल में, मधुशाला से प्राप्त कर लेगी, आज के मिडिया मे दिखे तस्वीर से यही लगता है, वाह! सरकार ने क्या ‘इकोनॉमिक्ल एग्जिट प्लान’ बनायीं है, नतमस्तक होने को जी करता है, मेरे राष्ट्र निर्माता के सामने, सरकार के अच्छे दिन हमेशा थे -(जो की 40 दिन मे खराब हो गये थे )फिर से अच्छे हो गये।  
अब बात जनता की जिनकी हालत पहले से ‘बहुत अच्छे’ थे, 40 दिनो के लॉकडाउन में और अच्छे हो गये, वो अपनी आर्थिक स्थिति और खराब कैसे करें, ये सरकार बता ही चुकी है, आदरणीय प्रधानमंत्री जी, घोषणा में, अरे याद होगा ही, आप सभी को, उनके अनुरोध को -बैंक ईएमआई ना ले, किराया ना ले, कंपनी तनखाह दे, ऐसे कई अनुरोध, जिसको लोगों आदेश मान लिए, क्या दूरदर्शी सरकार है, अनुरोध को आदेश मान लेती है, और आर्थिक रोड मैप का आधार, और उससे सोसल मिडिया के ज्ञाता गण, ‘इंटरनेट समाज’ मे क्रांति ला देते हैं,
जनता के प्रति ईमानदार शासन आदेश देती है, थोथी घोषणा नहीं, ‘करोना काल’ खत्म होते-होते, मार्च 2021 आ जायेगा, इसके लिए इसके साथ जीवन जीना होगा, इसलिए सरकार पहले आर्थिक जीवन नहीं -स्वास्थ्य जीवन और सरल जीवनचर्या का, रोड मैप पर कार्य करे, जीवन की जटिलताओं को कम करे, जो शराब बेच कर नहीं खत्म होगा। 
2020 की उपलब्धी ‘जिन्दा बने रहना’ होगा ना की आर्थिक साम्राज्य ख़डी करना, इसलिए लोगों की स्वस्थय शक्ति (इम्यूनिटी सिस्टम) पे ध्यान केंद्रित किया जाये, इसके लिए अबिलम्ब, एग्रीकल्चर पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि इस मानसून हेल्दी खाद्यान उत्पादन और भंडारण दुगनी की जा सकें, ताकि खाने पिने की वस्तुएं बहुत सस्ती हो, और कोई भूखा ना रहे, क्योंकि ‘हेल्दी खायेगा इंडिया तभी जिन्दा रहेगा इंडिया’ क्योंकि कुछ महीने फ्री बांटकर खाद्यान भंडार खत्म हो जायेंगे। 
इसके साथ टैक्स पेरय को राहत की व्यवस्था हो ना कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरिके से नई टैक्स लाद दी जाये, और सबसे बड़ी समस्या लॉकडाउन खुलते ही, सभी प्रकार के ट्रांसस्पोर्ट सिस्टम, की कॉस्टिग कम से कम आज की स्थिती पर बनाये रखना होगा जरूरी होगा, जो की सोसल डिस्टेस के कारण बढ़ेगा। इसको कंट्रोल करना जरूरी होगा नहीं तो महंगाई और बेरोजगारी की स्थिति भयावह होंगी। 
यह लेखक के अपने विचार हैं


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