राजेश करियर को लेकर जताया असंतोष, बोले, मुझे अपनी योग्यता के अनुसार नहीं मिली भूमिका
जनसंदेश न्यूज़
इंदौर। एक बेहतरीन कलाकार और एक प्रतिभाशाली डायरेक्टर, राजेश पुरी को हर कोई टेलीविजन पर सबसे प्यारे और विनम्र पिता के रूप में याद करता है। इसमें कोई शक नहीं कि वह छोटे परदे के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं। फिलहाल -टीवी के मायथोलॉजिकल शो संतोषी मां सुनायें व्रत कथायें में मानबहादुर सिंह की भूमिका निभा रहे पुरी, ने अपना असंतोष जताया है। बड़े परदे पर उन्होंने जिस तरह की भूमिकाएं निभायीं उसको लेकर उन्होंने यह अंसतोष व्यक्त किया है।
राजेश के कॅरियर का सफर काफी घटनाप्रद रहा है। इस दौरान वह थियेटर के उतार-चढ़ाव भरे, सुनहरे दृश्यों से होकर गुजरे, और उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ डांमा 1/4 एनएसडी1/2 में ऐक्टिंग की क्लासेस से लेकर मुंबई तक का सफर तय किया। साथ ही दिल्ली के मध्यम-वर्गीय परिवार से मायानगरी का खट्टा-मीठा स्वाद चखा। राजेश के कॅरियर के सबसे उल्लेखनीय पलों में हम लोग में लल्लू की शानदार परफॉर्मेंस रही है, जिसने उन्हें सफलता दिलायी। उसके बाद से राजेश 500 से भी ज्यादा नाटकों का हिस्सा रहे हैं और 130 फिल्में उनके हिस्से में आयीं।
उनका मानना है कि थियेटर ने उन्हें अपनी भूमिकाओं को जीने का मौका दिया है और यही वजह है कि यह उनका पहला प्यार है। इसके बावजूद उन्हें ऐसा लगता है कि एक्टर के तौर पर बड़ा परदा संतोषजनक नहीं रहा है। राजेश पुरी कहते हैं, मुझे ऐसा लगता है कि एक कलाकार के लिये यह बहुत ही बड़ी परेशानी की बात है, जब टैलेंट का उतना इस्तेमाल नहीं होता, जितना होना चाहिये। मैंने 130 से भी ज्यादा फिल्में की हैं और मुझे अभी तक ऐसी भूमिका नहीं मिली, जोकि मेरी योग्यता के अनुरूप हो।
कहा कि बड़े परदे पर मुझे अपनी किसी भूमिका के लिये कोई पछतावा नहीं है लेकिन सच कहूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं और भी जटिल और विविधतापूर्ण भूमिकाएं निभा सकता हूं। थियेटर में मेरा काम इस बात का सबूत है। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि मेरा किरदार 15 मिनट का ही क्यों ना हो, वह बस ऐसा होना चाहिये कि दर्शक मेरे अभिनय के कायल हो जायें। तीन दशकों से भी ज्यादा का अनुभव होने के बावजूद, पुरी को अभी भी परफेक्शन की चाहत है। यह सही मायने में एक सच्चे और जुनूनी एक्टर की निशानी है।