लेखपालों ने बनाया नियम, फेल हो रहे डीएम, गोवंश आश्रय स्थलों की जमीन चिह्नाकन को बनाया टेढ़ी खीर
ग्रामीणों से भूमि का पट्टा करने के नाम पर हो रहा लाखों का खेल
सरकारी जमीनों को बता रहे और ग्रामीणों से गुपचुप कर रहे सौदा
जनसंदेश न्यूज
चिरईगांव। योगी सरकार किसानों को छुट्टा पशुओं से निजात दिलाने के लिए जमीन चिह्नित कराते हुए गोवंश आश्रय स्थलों का निर्माण करा रही है और जिलाधिकारी भी इस दिशा में तत्परता दिखा रहे हैं। लेकिन जनपद में कई गांव ऐसे हैं जहां सरकारी जमीन इन आश्रय स्थलों के लिए चिह्नित करने के बजाय गुपचुप ढंग से तहसीलकर्मियों की मिलीभगत से सौदेबाजी चल रही है। यहां ग्रामीण को भ्रमजाल में फंसाकर सरकारी जमीनों का सौदा कर बगैर किसी लिखा-पढ़ी के लाखों रुपये एडवांस लिये जा रहे हैं।
कई ग्रामीण ऐसे हैं जो भूमि के प्रलोभन में विवादित जमीनों के लिए मोटी धनराशि तो दे चुके हैं लेकिन भूमि न मिलने की आशंका से भी वह घबरा रहे हैं। उनके लिए यह संकट न उगलते बन रहा है और न ही निगलने की स्थिति है। वह तहसीलकर्मियों के झांसे में फंस चुके हैं और खुलकर सामने आने से कतरा रहे हैं। चिरईगांव विकास खंड के कुछ गांवों में निराश्रित पशुओं के लिए प्रस्तावित गोवंश आश्रय केंद्र की जमीन चिह्नित नहीं हो पा रही है।
आश्रय स्थलों के लिए भूमि चयन का दायित्व सर्किल लेखपालों के पास है। सूत्रों की मानें तोलेखपाल घर बैठे सरकारी भूमि को विवादित जमीन बताकर न सिर्फ अपना पल्ला झाड़ रहे हैं बल्कि उन जमीनों की सौदेबाजी भी हो रही है। सरकारी बंजर जमीनों का पट्टा कर लाखों का वारा-न्यारा हो रहा है। अब यदि वह जमीनें गोवंश आश्रय स्थल के चिह्नित हो जाती हैं तहसीलकर्मियों का रचाया खेल बिगड़ जाएगा।
वहीं, जमीन पट्टा कराने के नाम पर पैसा खर्च कर चुके भोलेभाले ग्रामीणों के लिए इधर कुआं तो उधर खाई की स्थिति बन गयी है। पीड़ित ग्रामीण कुछ बोलने से डर रहे हैं। क्योंकि यदि वह शिकायत करेंगे तो उनका पैसा डूबेगा और यदि अफसरों के सामने गुहार नहीं लगाएंगे तो भी उनकी पूंजी हाथ से निकलती नजर आ रही है। सिर्फ जाल्हूपुर ग्राम पंचायत का ही उदारण लें तो यहां कुछ वर्ष चकबंदी पूरी हुई है। यहां अधिकांश जमीनें खाली पड़ी हैं। उसके बावजूद गांव में गोवंश आश्रय केंद्र के लिए तहसीलकर्मियों को भूमि ढूंढ़े नहीं मिल रही है।
कई गांवों में जमीन उपलब्ध
बीते पांच फरवरी को जाल्हूपुर के किसानों ने गांव के अंबेडकर पार्क में गोवंशों कैद कर दिया था। मौके पर ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट के निर्देश पर पहुंचे एडीओ सहकारिता रजनीश पांडेय ने सर्किल लेखपाल को दो दिन में जमीन चिह्नित करने को कहा लेकिन लेखपाल अबतक जाल्हूपुर नहीं पहुंचे हैं। यही हाल मुस्तफाबाद, गिरधरपुर, सरसौल, व्यासपुर आदि गांवों का है।
बाध्य होकर छुट्टा पशुओं को कर रहे कैद
खाद, बीज जुताई, सिंचाई, उर्वरकों की बढ़ती कीमत, मजदूरों की कमी और मंहगाई का दंश झेलते किसानों के लिए छुट्टा पशु किसी भारी मुसीबत से कम नहीं। खेतों की निगरानी करते थक चुके आक्रोशित अन्नदाता उन गोवंशों कैद करने लगे हैं। अफसर उन गोवंशों को मुक्त कराते हुए वैकल्पिक स्थानों पर रखवा रहे हैं। कई अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों पर किसान ही चंदा जुटाकर चारा-पानी का प्रबंध कर रहे हैं। चिरईगांव ब्लाक के जाल्हूपुर और छितौनी में गत दिनों कैद किये पशुओं को मुक्त कराया गया था। भगतुआ, सिरिस्ती, अमौली व गिरधरपुर के किसानों ने छुट्टा गोवंशों को अभी भी कैद कर रखा है। व्यासपुर ग्राम पंचायत के गिरधरपुर गांव में कैद ऐसे करीब 50 गोवंश भूख-प्यास से तड़प रहे हैं। भगतुआ में लगभग इतने की गोवंशों को किसानों ने पेड़ों से बाधकर रखा है। सिरिस्ती (अमौली) के जल निगम परिसर में बंद गोवंशों की संख्या घट रही है। कुछ दिन पहले तक वहां करीब 93 से अधिक गोवंश थे। बीते शनिवार को गिनती करने पर उन पशुओं की संख्या 73 पायी गयी। 20 गोवंश कहां गये यह कोई बताने को तैयार नहीं है।
बोले बीडीओ
निराश्रित गोवंशों की समस्या पर बीडीओ चिरईगांव विक्रमादित्य सिंह मलिक ने कहा कि गोवंश आश्रय स्थल के लिए जमीन चिह्नित करने का कार्य जारी है। मोकलपुर में बहुत कम दिन में ऐसा सेंटर बनाया गया है। छाही में भी आश्रय स्थल तैयार है। अमौली में जमीन चिह्नित हो चुकी है। जल्हूपुर में जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं।
बंद गेट से पशु भागे!
अमौली के जल निगम परिसर के बंद गेट और चार सफाईकर्मियों की तैनाती के बावजूद प्रांगण में कैद गोवंशों की संख्या कम होने के बारे में पूछे जाने पर चिरईगांव के पशुधन प्रसार अधिकारी प्रदीप सिंह ने कहा कि बीमार गोवंश इलाज के दौरान बाउंड्री से भाग निकले। उन्होंने कहा कि किसी किसान ने गेट खोल होगा।
अन्नदाताओं ने कहा
जाल्हूपुर के रामनिवास, घनश्याम पांडेय, गोपी यादव, भगतुआ के सुभाष पांडेय, विनोद उपाध्याय, बब्बल पांडेय, मुस्तफाबाद के राघवेंद्र सिंह, गुड्डू यादव, विष्णुपुरा के नंदलाल तिवारी आदि किसानों का कहना है सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती तो इस गंभीर समस्या का कोई हल खोजे। अन्यथा पूरी लागत व परिश्रम के बाद भी हमलोग भूखमरी की स्थिति आ जाएंगे।